बजट सत्र में राष्ट्रगीत गाए जाने का AIMIM विधायक ने किया विरोध, कहा- राष्ट्रगान से नहीं राष्ट्रगीत से तकलीफ है

1st Bihar Published by: Updated Thu, 17 Feb 2022 09:32:39 PM IST

बजट सत्र में राष्ट्रगीत गाए जाने का AIMIM विधायक ने किया विरोध, कहा- राष्ट्रगान से नहीं राष्ट्रगीत से तकलीफ है

- फ़ोटो

PATNA: बिहार विधानसभा का बजट सत्र 25 फरवरी से शुरू होने वाला है। इसे लेकर तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही है। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के मुताबिक बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान और समाप्ति राष्ट्रीय गीत से होगी। लेकिन वही राष्ट्रगीत वन्दे मातरम पर एक बार फिर विवाद सामने आ रहा है।  


ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अध्यक्ष अख्तरुल इमान इसका विरोध कर रहे हैं। पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए अख्तरुल इमान ने कहा कि हमारा रुख साफ है। राष्ट्रगान से हमें किसी को तकलीफ नहीं है जन-गन-मन शौक से गाते हैं। लेकिन राष्ट्रगीत से सबको तकलीफ है। इसलिए यह देश सबका है। सेक्युलर आडियाज पर है। इसलिए सबका मान सम्मान होना चाहिए। अपनी आस्था की लोग पैरवी करे लेकिन दूसरे की आस्था का भी सम्मान करे। हम सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा आज भी गाया जाए और गाया जाता रहा है। अख्तरुल ने शायराना अंदाज में कहा कि वसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है जिंदा अगर हूं तो जिंदा दिखना जरूरी है।


दरअसल 25 फरवरी से होने वाले बजट सत्र की शुरुआत शुरुआत राष्ट्रगान और समापन राष्ट्रीय गीत से होगी इस बात को खुद बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने दोहराया था। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत हमारे देश के एकता और अखंडता को दर्शांता है। यह सार्वजनिक तौर पर होने वाले सभी कार्यकर्मों में गाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत के संसद में 1992 से यह होता आ रहा है। अब बिहार विधानसभा में भी यह परंपरा चलेगी। जिसका विरोध ओवैसी की पार्टी के विधायक कर रहे हैं।


AIMIM विधायक अख्तरुल इमान को राष्ट्रीय गीत से आपत्ति हो रही है। उन्होंने कहा कि हम इसका विरोध करेंगे और विधानसभा में इसे नहीं गाएंगे। धार्मिक आस्था किसी पर थोपना नहीं चाहिए और ना ही अघात पहुंचाना चाहिए। आस्था का पालन और दूसरे का आदर हमारे पूर्वजों ने सिखाया है लेकिन उनके पास ताकत है तो ताकत के बल पर जो करना चाहे कर ले। लेकिन इसको लेकर हमारे बुजुर्गों ने पहले ही फैसले ले रखे हैं। यहां तक कि संविधान सभा में भी चर्चा है कि सेकुलर देश में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश होनी चाहिए।