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DESK: कल हमने आपकों समस्तीपुर की वह तस्वीर दिखायी थी जिसमें पोस्टमार्टम के नाम पर एक लाचार मां-बाप से अस्पताल कर्मचारी ने 50 हजार रुपये की मांग कर दी। कहा पैसे लाओं और लाश ले जाओ। ऐसा सुनते ही मां-बाप के आंखों से आंसू बहने लगे वे बेटे की लाश के लिए भीख मांगने तक को विवश हो गये। जबकि वही स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद में सोया रहा। आज हम आपकों स्वास्थ्य विभाग की एक और लापरवाही सामने रख रहे हैं। इस तस्वीर को देखकर आपके रोंगते खड़े हो जाएंगे।
हम बात लखीसराय सदर अस्पताल की कर रहे हैं जहां बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा सिविल सर्जन और विभाग आए दिन करती है। लेकिन इस घटना ने सारे दावों की पोल खोलकर रख दी है। आज हम फिर एक लाचार बाप की कहानी सुना रहे हैं जो हाथ जोड़कर कहता रहा कि कोई उसे एम्बुलेंस मुहैया कराए ताकि वह बेटे की लाश को घर तक ले जा सके। उसकी इस अपील पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद बाइक पर बेटे की लाश को रखकर वह घर के लिए रवाना हो गया।
इस दौरान उसके आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था लेकिन किसी की भी नजर उसके आंसूओं पर नहीं गयी। लखीसराय सदर अस्पताल के ना तो किसी कर्मी ने उसकी मदद की और ना ही डॉक्टर और अधिकारियों ने मदद के हाथ बढ़ाए। दरअसल विद्यापीठ चौक पर करंट की चपेट में आने से 16 वर्षीय सलौनाचक पूर्वी हरिजन टोला के दिनेश मंडल के पुत्र अंजल कुमार की मौत हो गई थी।
बुधवार की देर शाम लखीसराय सदर अस्पताल में अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब करंट से मौत के बाद किशोर की लाश को घर ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली। घंटों इंतजार के बीच मृतक के परिजन एंबुलेंस के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन निराशा हाथ लगी। इस बीच निजी एंबुलेंस वाले दो हजार रुपये की मांग कर रहे थे। पीड़ित परिवार राशि देने में सक्षम नहीं था। जिसके कारण लाश को बाइक के सहारे घर ले जाया गया। यह तस्वीर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। हालांकि लखीसराय सिविल सर्जन डा. डीके चौधरी का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी।
इससे पूर्व मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना समस्तीपुर में सामने आई है जहां बेटे के शव का पोस्टमार्टम कराने गये एक पिता से 50 हजार रुपये की मांग की गयी थी। गरीबी से लाचार बाप अपने बेटे का पोस्टमार्टम के लिए भीख मांगने तक को मजबुर हो गया। हद तो तब हो गयी जब कर्मियों ने शव देने तक से मना कर दिया। मामला ताजपुर थाना क्षेत्र के कस्बे आहार की है जहां महेश ठाकुर के 25 वर्षीय बेटे जो मानसिक रूप से विक्षिप्त था 25 मई से घर से लापता हो गया था।
परिजन ने पहले तो अपने स्तर से काफी खोजबीन की लेकिन बाद में सोशल मीडिया के माध्यम से उसे ढूंढने की कोशिश की।7 जून को उन्हें जानकारी मिली कि मुसरीघरारी थाना क्षेत्र से एक अज्ञात युवक के शव को पुलिस ने बरामद किया है। जिसके बाद वो मुसरीघरारी थाना पहुंच गये। थाना से उन्हें जानकारी दी गई कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है। जिसके बाद वो सदर अस्पताल पहुंचे। पहले तो पोस्टमार्टम कर्मी ने शव दिखाने से आनाकानी की लेकिन बाद में काफी गुहार के बाद उसे शव दिखाया गया। शव की पहचान उसने अपने बेटे संजीव ठाकुर के रूप में की।
जब मृतक के पिता ने कर्मी से शव को उनके हवाले करने की बात कही तब पोस्टमार्टम का कर्मी पचास हजार रुपये मांगने लगा। इतनी मोटी रकम देने में पिता ने असमर्थता जतायी तब पोस्टमार्टम कर्मी ने शव देने से इनकार कर दिया। पोस्टमार्टम कर्मी की मांग पूरी करने के लिए लाचार माँ-बाप पैसे इकट्ठा करने के लिए भीख मांगने को विवश हो गये। पीड़ित माता-पिता मुहल्ले में घूम-घूम कर आँचल फैलाकर भीख मांगने लगे। वंही इस लाचार माता-पिता को देखकर हर कोई सिस्टम और सरकार को कोस रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि परिवार इतना गरीब है कि बेटे के अंतिम संस्कार तक करने में असमर्थ है। गरीब और लाचार बाप भला 50 हजार रूपये कहां से लाएगा। समस्तीपुर और लखीसराय की यह घटना अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोल रहा है। अब देखना यह होगा की दोनों मामले में विभाग क्या कार्रवाई कर पाती है।
ऐसे में मुहल्ले के लोग मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे है लेकिन यह नाकाफी है। अस्पताल कर्मी ने पचास हजार रुपये की मांग की है। बताते चले कि पोस्टमार्टम कर्मी द्वारा पोस्टमार्टम के नाम पर रुपया मांगने का यह कोई पहला मामला नहीं है । इससे पहले भी पोस्टमार्टम के लिये पीड़ित परिजन से रुपया मांगने का वीडियो वायरल हो चुका है। लेकिन पोस्टमार्टम में लगे इन कर्मियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जिसके कारण इनका मनोबल सातवें आसमान तक पहुंच जाता है।
इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ एस के चौधरी का कहना है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है । यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है । इस पर जांच के बाद आवश्य कार्रवाई की जाएगी। सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के नाम पर रुपये मांगने का यह कोई पहला मामला नही है लेकिन हर मामले में शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के द्वारा जांच और कार्रवाई की बात कहीं जाती है। ऐसे में अब देखना है कि इतने संवेदनहीन कर्मी पर कब तक और क्या कार्रवाई की जाती है।