बिहार में शराबबंदी को लेकर हाईकोर्ट की कड़ी टिपण्णी : पुलिस दिलचस्पी नहीं ले रही, माफिया की संपत्ति जांची जाए

बिहार में शराबबंदी को लेकर हाईकोर्ट की कड़ी टिपण्णी : पुलिस दिलचस्पी नहीं ले रही, माफिया की संपत्ति जांची जाए

PATNA : बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद शराब के अवैध धंधे से जुड़े लोगों की संपत्ति में इजाफे और उनके खिलाफ पुलिसिया एक्शन नहीं होने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। पटना हाईकोर्ट ने शराब के धंधे में शामिल कारोबारियों की संपत्ति की जांच करने का आदेश दिया है।


हाईकोर्ट ने इसके लिए आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय को जिम्मेदारी दी है। पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि शराब के अवैध कारोबार से जिन लोगों ने काली कमाई की है, उनकी अवैध संपत्ति की जांच पड़ताल की जानी चाहिए और यह तय होना चाहिए कि इन लोगों का नाम सामने आए। इन सबके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी जरूरी है।


मुजफ्फरपुर और वैशाली से जुड़े कई मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने कड़ी टिप्पणी की। पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि शराबबंदी कानून के बावजूद बिहार में बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी यह बता रही है कि माफिया के खिलाफ सही तरीके से एक्शन नहीं हो रहा है।


हाईकोर्ट ने कहा है कि उन जिलों की पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है, जहां शराब की बरामदगी बड़े पैमाने पर हुई है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीर मसला माना है हाईकोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई है कि अपराध में शामिल सिंडिकेट के लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पटना हाईकोर्ट ने जिलों के एसएसपी और एसपी को अपने यहां लंबित शराब के केस का पूरा ब्योरा देने का निर्देश दिया है।


पटना हाईकोर्ट इस मामले को लेकर कितना सख्त है इस बात से समझा जा सकता है कि उसने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट तौर पर कहा है कि भारी मात्रा में शराब की जब्ती होने के बाद थाना प्रभारी, जिला पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी सिंडिकेट के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। हाईकोर्ट ने इन मामलों में आयकर विभाग के महानिदेशक (जांच) और ईडी को प्रतिवादी बनाने का भी आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जो लोग भी शराब के इस काले कारोबार में शामिल हैं उनका नाम सामने आना चाहिए उनकी संपत्ति की जांच पड़ताल जरूरी है।