PATNA : बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया।भाजपा के विधायकों ने कुर्सी उठा ली। वहीं, सत्र शुरू होते ही सरकार ने सदन के पटल पर जाति आधारित गणना का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी गई। इस रिपोर्ट की कॉपियां सभी विधायकों को बांटी गई है। इस आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल आबादी का केवल 1.22 फीसदी लोग ही बाहर रहते हैं।
दरअसल, नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा में जाति एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश कर दी। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब 1.22 फीसदी लोग ही बाहर रहते हैं। जबकि सरकार के तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 94.28 फीसदी लोग बिहार में रह रहे हैं। इन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं है। बिहार में आबादी की शैक्षणिक स्थिति का जो रिपोर्ट आया है उसके अनुसार प्रवासी बिहारियों को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस आकड़ें के अनुसार बिहार में महज 1.22 फीसदी लोग ही बाहर रहते हैं।
इसके आलावा सरकार की रिपोर्ट यह कह रही है कि बिहार में परिवारों की आवासीय स्थिति जिसमें पक्का मकान 2 या 2 से अधिक कमरा वाला परिवार 36.76 फीसदी है। इसके अलावा पक्का मकान एक कमरा वाले परिवार 22.37 फीसदी है। उसी तरह खपरैल /टीन छत वाले परिवार 26.54 फीसदी है। इसके साथ ही झोपड़ी में रहने वाले परिवार की संख्या 14.9 फीसदी परिवार है। इसके साथ ही आवासहीन परिवार 0.24 फीसदी है।
इस सरकारी रिपोर्ट के अनुसार बिहार की 22.67 आबादी के 1 से 5 वीं तक की शिक्षा ग्रहण कर पाई है। वहीं वर्ग 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 फीसदी आबादी के पास है। बिहार सरकार के रिपोर्ट के अनुसार वर्ग 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 फीसदी आबादी के पास है। वहीं वर्ग 11 से 12 तक की शिक्षा 9.19 फीसदी आबादी को नसीब हो पाया है। वहीं ग्रेजुएट की शिक्षा बिहार की मात्र 7 फीसदी जनता को नसीब हो पाया है।