नीतीश जी, बिहार के नियोजित शिक्षकों को कोराना का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं, तीन महीने से सरकार ने वेतन नहीं दिया है

नीतीश जी, बिहार के नियोजित शिक्षकों को कोराना का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं, तीन महीने से सरकार ने वेतन नहीं दिया है

PATNA : कोरोना की भीषणतम त्रासदी के बीच बिहार के तकरीबन चार लाख नियोजित शिक्षकों औऱ पुस्तकालयाध्यक्षों को पिछले तीन महीने से वेतन का इंतजार है. हजारों शिक्षक खुद कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, हजारों शिक्षकों के घर वाले कोरोना से पीड़ित हैं. लेकिन उनके पास इलाज कराने तक को पैसे नहीं है. वैसे सरकार ने उनके वेतन के लिए आवंटन तो जारी कर दिया है लेकिन पैसे शिक्षकों तक नहीं पहुंचे हैं. शिक्षक संघों ने बिहार सरकार से जान बचाने के लिए वेतन जारी करने की गुहार लगायी है. 


250 से ज्यादा शिक्षकों की मौत
नियोजित शिक्षकों के संगठन ने कहा है कि कोरोना का शिकार बन बिहार में 250 से ज्यादा शिक्षकों की मौत हो चुकी है. 5 हजार से ज्यादा ऐसे शिक्षक हैं जो अभी भी कोरोना से संक्रमित हैं. वहीं हजारों शिक्षकों के परिजन कोरोना का संक्रमण झेल रहे हैं. ऐसी भीषण आपदा की हालत में भी पिछले तीन महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है. नियोजित शिक्षकों के घर खाने पर आफत है वे कोरोना का इलाज कहां से करायेंगे. क्या सरकार चाहती है कि शिक्षक भूख औऱ बीमारी से तड़प तड़प कर मर जायें. 


आवंटन हुआ पर वेतन नहीं मिला
नियोजित शिक्षक संघ के मुताबिक नीतीश सरकार ने पंचायती राज-नगर निकायों के अंतर्गत काम कर रहे शिक्षकों औऱ पुस्तकालयाध्यक्षों के लंबित वेतन भुगतान के लिए पैसे का आवंटन कर दिया है. लेकिन सरकार के पैसे आवंटित करने के बाद लॉकडाउन का एलान कर दिया गया. लॉकडाउन के कारण सभी सरकारी कार्यालयों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में आवंटन होने के बावजूद शिक्षकों के वेतन का पैसा फाइलों में ही लटका हुआ है.


शिक्षक संघ ने कहा है कि इस बीच रमजान का महीना भी चल रहा है. 13 मई को ईद का पर्व मनाया जायेगा. लेकिन सूबे में 15 मई तक लॉकडाउन का एलान कर दिया है. अब यही उम्मीद है कि ईद के मौके पर भी शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पायेगा. इससे शिक्षकों में हताशा बढ़ती जा रही है.


मैट्रिक-इंटर परीक्षा की कॉपी जांचने का भी पैसा नहीं मिला
नियोजित शिक्षकों के संघ ने कहा है कि कोरोना के संक्रमण के दौर में भी नियोजित शिक्षकों ने अपने कर्तव्य का पूरी जिम्मेवारी से निर्वहन किया. शिक्षकों ने समय पर मैट्रिक औऱ इंटर परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन किया तभी बिहार बोर्ड ने देश भर में सबसे पहले परीक्षाफल घोषित करने का रिकॉर्ड कायम किया. लेकिन अभी तक कॉपी के मूल्यांकन का पैसा औऱ भत्ता भी नहीं दिया गया है. ये शिक्षकों के साथ अन्याय है.