बिहार विधान परिषद में निर्वाचित 11 सदस्यों का कार्यकाल मई के पहले सप्ताह में पूरा हो रहा है। विधान परिषद की रिक्त होनेवाली इन सीटों पर चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। विधान परिषद के जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होनेवाला है उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन, जदयू नेता व पूर्व मंत्री संजय कुमार झा, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा, हम नेता संतोष कुमार सुमन, भाजपा नेता मंगल पांडेय, राजद नेता रामचंद्र पूर्वे, जदयू नेता खालिद अनवर व रामेश्वर महतो और भाजपा नेता संजय पासवान शामिल हैं।
चुनाव आयोग के तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक, विधान परिषद की रिक्त होनेवाली सीटों पर 4 मार्च को नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इसको लेकर नामांकन की आख़िरी तिथि 11 मार्च तक की गई है। उसके अगले दिन यानी 12 मार्च नामांकन की जांच होगी। इसके दो दिन बाद 14 मार्च को नामांकन वापिस लिए जाएंगे और 21 मार्च को इसके लिए चुनाव की तारीख तय की गई है। इसी दिन देर शाम तक चुनाव परिणाम भी घोषित कतर दिए जाएंगे।
मालूम हो कि, बिहार की राजनीति के नये समीकरण में विधानसभा की संख्या बल के आधार पर एनडीए के पांच उम्मीदवार का जीतना तय माना जा रहा है। छठे सदस्य की जीत के लिए अतिरिक्त मत जुटाने होंगे। जानकारों के मुताबिक एक उम्मीदवार की जीत के लिए 22 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। ऐसे में एनडीए के पास भाजपा के 78, जदयू के 45 और हम के चार एवं एक निर्दलीय विधायक के वोट है। इनमें तीन सीटें भाजपा आसानी से जीत लेगी और जदयू की दो सीटें निकल आयेंगी। इनमें एक सीट पर मुख्यमंत्री का निर्वाचन होगा। दूसरी सीट पर जदयू के ही किसी दिग्गज को भेजा जायेगा।
वहीं, नयी सरकार में हम पार्टी के एक संतोष कुमार सुमन मंत्री बनाये गये हैं। संतोष कुमार पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे हैं। अभी वो विधान परिषद के सदस्य हैं, लेकिन उनका कार्यकाल भी मई में पूरा हो रहा है। लिहाजा मंत्रिमंडल में बने रहने के लिए उन्हें विधान परिषद या विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी होगी। विधान परिषद के लिए हम को अपने चार विधायकों के अलावा भाजपा और जदयूू के बाकी वोटों की दरकार होग। इसके बावजूद जीत के लिए अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी।
गौरतलब है कि विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं. इसमें विधानसभा सदस्यों द्वारा 27 जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है, विधान परिषद की एक-तिहाई सीटें हर दो साल के बाद रिक्त होती है, जिस पर मतदान कराया जाता है। इसी क्रम में विधान परिषद की 11 सीटों पर निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल छह मई को पूरा हो रहा है। इन सभी सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाना है। विधान परिषद सदस्यों के लिए विधानसभा में ही बूथ का गठन किया जाता है।