PATNA : राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति अब तक बिहार के राज्यपाल होते हैं लेकिन अब बिहार में एक ऐसा विश्वविद्यालय भी होगा जिसके कुलाधिपति राज्यपाल की बजाय मुख्यमंत्री होंगे। जी हां, बिहार में इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई को एकीकृत करने के लिए बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय का गठन किया जा रहा है और इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल की बजाय मुख्यमंत्री होंगे। बिहार के सभी इंजीनियरिंग कॉलेज इसी विश्वविद्यालय के अधीन होंगे। यह नया विश्वविद्यालय जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगा।
बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय का प्रस्ताव सरकार ने तैयार कर लिया है। इसके लिए मानसून सत्र में विधेयक लाए जाने की संभावना है। वित्त और विधि विभाग की तरफ से इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल चुकी है। सूत्रों की मानें तो आज कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर भी लग जाएगी। मानसून सत्र से पारित होने के बाद यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ जाएगा। अगले सत्र यानी 2022-23 से यह नया विश्वविद्यालय एक्टिव हो जाएगा। दरअसल सरकार इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर फोकस रखते हुए इसके पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करने जा रही है और इसीलिए अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेजों को अब एक विश्वविद्यालय के अधीन लाया जा रहा है।
इस विश्वविद्यालय के चांसलर मुख्यमंत्री होंगे। सरकार विश्वविद्यालय गठन के बाद वाइस चांसलर, एग्जामिनेशन कंट्रोलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस ऑफिसर आदि पदों पर बहाली करेगी, इसमें भी वक्त लगेगा। बिहार के 38 सरकारी और 15 प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज इस विश्वविद्यालय के अधीन आएंगे। सरकार का मानना है कि अभी बहुत सारे कोर्स ऐसे हैं जो समय के मुताबिक के नहीं। फिलहाल सभी सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज साल 2010 में बनाए गए आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के अधीन है लेकिन जिस उद्देश्य से आर्यभट्ट विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी वह सफल नहीं हो पा रहा। सरकार को ऐसा लगता है कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय समय के मुताबिक पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं कर पा रहा लिहाजा देश के दूसरे हिस्सों में जिस तरह सिलेबस अपडेट हुआ है उसमें यह विश्वविद्यालय पिछड़ गया है। नए इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे।