AURANGABAD : प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी द्वारा एक दिवसीय मगध बंदी ऐलान के अति नक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले में बंद का गहरा असर दिखा। नक्सल प्रभावित प्रखंडों-नबीनगर, कुटुम्बा, देव, मदनपुर एवं रफीगंज में बंद का गहरा प्रभाव रहा। इन प्रखंडों में यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप रही। बस स्टैंडों में सन्नाटा पसरा रहा। दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में बंदी का साफ असर दिखा। शेरघाटी इमामगंज मुख्य मार्ग पर सन्नाटा पसरा हुआ है। बंदी के दौरान नक्सली किसी घटना को अंजाम नहीं दे इसे लेकर पुलिस अलर्ट दिख रही है।
प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण हाट-बाजार तक बंद रहे। बैंक, पोस्ट ऑफिस, स्कूल आदि सरकारी संस्थानों में बंदी दिखी। वही औरंगाबाद जिला मुख्यालय, गोह, हसपुरा, दाउदनगर, ओबरा और बारूण में बंद बेअसर रहा और इन प्रखंडों के बाजारो में सरकारी और व्यावसायिक प्रतिष्ठान सामान्य दिनों की भांति खुले रहे। यातायात व्यवस्था भी सामान्य रही। वहीं बंदी को देखते हुए पुलिस काफी अर्लट हैं। जंगली क्षेत्रों में लगातार छापेमारी की जा रही हैं। वहीं सभी चौक चैराहे पर पुलिस बल तैनात दिखे।
बता दें बिहार झारखंड रीजनल कमेटी की ओर से इमामगंज और मैगरा थाना क्षेत्र के कई जगह पर पोस्टर चिपकाए थे। जिसमें 10 मार्च को मगध प्रमंडल बंद करने की घोषणा की गई थी। इस बंद का ऐलान नक्सलियों ने पुलिस के सर्च अभियान के खिलाफ किया है। जो गया और औरंगाबाद के सीमावर्ती जंगलों में चल रहा है। जानकारी के अनुसार गया जिले के अति उग्रवाद प्रभावित मैगरा थाना क्षेत्र के कालीदह गांव के समीप इमामगंज थाना क्षेत्र के पकरी गुरिया बाजार में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने पोस्टर चिपकाया है. जिसमें 10 मार्च को मगध प्रमंडल बंद करने का घोषणा किया गया है। नक्सलियों ने पोस्टर के जरिए से बताया कि सर्च ऑपरेशन के क्रम में बरामद किए गए हथियारों को बेवजह विस्फोट किया जा रहा है. जिससे जंगल का वातावरण दूषित हो रहा है।