PATNA: बिहार सरकार सूबे के नगर निकायों यानि नगर निगम, नगर परिषद औऱ नगर पंचायतों के लिए नया कानून बनाने जा रही है. विधानसभा के इस सत्र में इस कानून को पारित करा लिया जायेगा. सरकार ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही दिन वाले बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश 2022 को बिहार विधानसभा के पटल पर रख दिया.
ऐसा हो रहा है संशोधन
दरअसल बिहार सरकार ने पहले ही नियम बना दिया है कि बिहार के नगर निकायों में प्रमुख यानि मेयर या डिप्टी मेयर और मुख्य पार्षद या उप मुख्य पार्षद डायरेक्ट जनता के वोटों से चुने जायेंगे. अब तक वे वार्ड पार्षदों के वोटों से चुने जाते थे. उन्हें वार्ड पार्षदों के अविश्वास प्रस्ताव से हटाया जा सकता था. अब वे जनता के वोट से चुने जायेंगे तो उन्हें पद से हटाने की भी नयी व्यस्था की गयी है. सरकार के नये विधेयक में शहरी निकायों में मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद के निर्वाचन में बदलाव की विस्तृत जानकारी दी गयी है.
सरकार नगर निकायों के प्रधान को हटा सकेगी
सरकार के नये कानून के तहत भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाने पर, शारीरिक और मानसिक तौर पर अक्षम होने या छह महीने से ज्यादा समय तक होने की स्थिति में मेयर या डिप्टी मेयर को सरकार पद से हटा सकती है. यही नियम नगर परिषद या नगर पंचायतों के मुख्य पार्षद या उप मुख्य पार्षद पर भी लागू होगा. इसके साथ ही अगर वे लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहे या अपने कर्तव्यों का पालन करने से इनकार किया तो भी भी सरकार उन्हें पद से हटा सकती है.
लोकप्रहरी करेंगे पद से हटाने की सिफारिश
सरकार ने मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद को पद से हटाने की अनुशंसा करने के लिए लोकप्रहरी की नियुक्ति करने का फैसला लिया है. ये एक न्यायिक पद होगा. नगर निकाय के प्रधान को हटाने का मामला लोकप्रहरी के पास जायेगा. लोकप्रहरी पूरे मामले पर सुनवाई के बाद अगर उन्हें पद से हटाने की अनुशंसा करते हैं तो सरकार को यह आदेश पारित करना होगा.
एक बार पद से हटे तो दोबारा नहीं चुने जायेंगे
किसी भी नगर निकाय में मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद को पद से हटा दिया गया तो वे बाकी बचे कार्यकाल के दौरान फिर से निर्वाचन के योग्य नहीं होंगे. यानि फिर से नहीं चुने जा सकेंगे. मेयर या डिप्टी मेयर की मृत्यु, पद त्याग, बर्खास्तगी और दूसरे कारणों से पद रिक्त होने पर फिर से चुनाव होगा. जनता के वोट से ही फिर से दोनों जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे. यह निर्वाचन पूर्व के मेयर-डिप्टी मेयर के बचे हुए कार्यकाल तक ही होगा. अगर सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों के पद में आकस्मिक रिक्ति होती है, तो मुख्य पार्षद या मेयर निर्वाचित पार्षदों में से किसी एक को नामित करेंगे. अगर कोई सशक्त समिति सदस्य त्यागपत्र देता है तो वह सात दिनों के बाद प्रभावी होगा.