PATNA : 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर ज्यादा पेंच फंसती हुई नजर नहीं आ रही है। क्योंकि महागठबंधन में सहयोगी दलों के अंदर से जो खबर निकाल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक यहां छह दलों के गठबंधन में जो दो मुख्य पार्टी है वह बराबर - बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी की सीट में सहयोगी में बांटी जाएगी। लेकिन, सवाल यह है कि क्या सहयोगी इस बात पर राजी होंगे और जब इसको लेकर जवाब की तलाश की गई तो बड़े ही रोचक जवाब निकल कर सामने आए हैं।
दरअसल, बिहार में भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन में शामिल 6 दलों में से दो मुख्य पार्टी के आलावा बाकी की पांच पार्टी कुछ दिन पहले किए गए अपने दावे के सीट भी सहयोगियों को देने के लिए तैयार है। इसके पीछे उनका साफ कहना है कि - हमें इस बार किसी भी हाल में बिहार में बीजेपी की संख्या को कम करना है ताकि हमें न सिर्फ लोकसभा बल्कि विधानसभा में ही मुनाफा हासिल हो सके।
मालूम हो कि, बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीट है। जिसमें से 16 सीटों पर जदयू का कब्जा है। जबकि एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। हालांकि जदयू ने यह सीट उसे वक्त हासिल की थी जब वह भाजपा के साथ थी और इस बार वह भाजपा से अलग है। जदयू इस बार महागठबंधन में सहयोगी की भूमिका में चुनाव लड़ेगी। ऐसे में अब इसको लेकर सीट बातचीत बंटवारे को लेकर जो चीज निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक जदयू और राजद बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन, सवाल यह है की बात जब बराबर बराबर सीटों पर होगी तो बाकी के सहयोगी दलों को भी कुछ ना कुछ समझोता करना पड़ेगा। ऐसे में अब जो जानकारी निकाल कर सामने आई है उसके मुताबिक महागठबंधन में वाम दल के रूप में शामिल सभी पार्टी मिलकर महज चार सीटों पर ही चुनाव लड़ सकती है।
बताया जा रहा है कि, एक दैनिक अखबार से बात करते हुए वाम दल सीपीएम के एक नेता बताते हैं कि, अब तक भले ही इंडिया गठबंधन में राष्ट्रीय स्तर पर सीट शेयरिंग का फार्मूला नहीं निकल पाया है और ना ही पीएम फेस पर सहमति बनी हो। लेकिन बिहार में राजद, जदयू, कांग्रेस और वाम दल पूरी तरह एकजुट होकर भाजपा को हराने पर काम करेगी और प्रत्येक सीट पर अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने बताया कि हमारे तरफ से महागठबंधन में उजियारपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और महाराजगंज सीट का प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन भाजपा को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने हेतु अपने दावे के सीट भी कुर्बान करना पड़े तो हमें कोई परहेज नहीं होगा।
उधर, सीपीआई के तरफ से बेगूसराय, मधुबनी और बांका लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव महागठबंधन में रखा गया है। इसके अलावा महागठबंधन के अंदर वाम दल के रूप में शामिल माले के तरफ से भी आर जहानाबाद, सिवान, काराकट, बाल्मीकि नगर, पाटलिपुत्र, बक्सर औरकटिहार सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन हकीकत यह है कि इन दलों को अपनी सच्चाई मालूम है। इसलिए इन्होंने अब यह फैसला किया है कि भाजपा को हराने के लिए अपने दावे के सीट भी इस महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियों को देना पड़े तो उससे पीछे नहीं हटेंगे।
बहरहाल, इन दावों से अलग यदि जमीनी पड़ताल की जाए तो सीपीआई बेगूसराय में, माले आरा और काराकट में और सीपीएम उजियारपुर में मजबूत स्थिति में है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आर सीट पर माले उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे। जबकि बेगूसराय में सीपीआई उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे। हालांकि बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारा के मामले में जदयू और राजद ड्राइविंग सीट पर है क्योंकि यही पार्टी तय करेगी कि भाजपा को हराने के लिए वाम दल और कांग्रेस को कितनी सीट दी जाए। लेकिन इतना तय है कि यदि माले को दो, सीपीआई और सीपीएम को एक-एक सीट भी मिलती है तो यह दल विरोध नहीं करेगी।