इसे हैवानियत ही कहिये: बिहार में कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में 24 घंटे तक गुल रही बिजली, मरीजों के साथ क्या हुआ ये खुद समझिये

इसे हैवानियत ही कहिये: बिहार में कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में 24 घंटे तक गुल रही बिजली, मरीजों के साथ क्या हुआ ये खुद समझिये

MADHEPURA : बिहार सरकार ने जिस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल घोषित कर दिया हो वहां 24 घंटे तक बिजली ही गुल हो जाये तो इसे क्या कहियेगा. हैवानियत की हद देखिये, जब अस्पताल प्रशासन ने बिजली विभाग से शिकायत की तो उसे निजी कंपनी से संपर्क करने को कह दिया गया. निजी कंपनी ने कहा उसके पास आदमी नहीं है. इस 24 घंटे में मरीजों के साथ क्या हुआ होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा लीजिये.


मधेपुरा के मेडिकल कॉलेज अस्पताल का हाल
मेधपुरा में सीमांचल औऱ कोसी इलाके का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल. सरकार ने इस अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में परिवर्तित कर 500 बेड पर कोविड मरीजों का इलाज करने का एलान कर रखा है. लेकिन इलाके में आंधी पानी आयी और फिर इस अस्पताल का जो हाल हुआ उसे जानकर आपके रौंगटे खडे हो जायेंगे. 


आंधी पानी आयी औऱ बिजली गयी
रविवार की शाम मधेपुरा में आंधी पानी आयी औऱ मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बिजली गुल हो गयी. पूरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंधेरे में डूब गया. सोमवार को मीडिया की टीम इस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के दफ्तर में अस्पताल का हाल जानने पहुंची तो उनके ऑफिस में भी बिजली गायब थी. प्राचार्य डॉ जी के मिश्रा से जब पूछा गया कि सिर्फ उनके दफ्तर में ही बिजली गायब है या पूरे अस्पताल में. उन्होंने बताया कि रविवार की शाम को आए आंधी तूफान के कारण बिजली गुल है जो सोमवार की दोपहर तक बहाल नहीं हुई. उनसे पूछा गया कि फिर अस्पताल में कैसे काम चल रहा है तो प्राचार्य ने बताया कि लगातार जेनरेटर चलाया जा रहा है उससे अस्पताल में काम किया जा रहा है.


हालांकि जेनरेटर से कई बड़े मशीन नहीं चलाये जा सकते. वहीं, किसी भी जेनरेटर को लगातार 24 घंटे तक नहीं चलाया जा सकता. कोविड डेडिकेटेड अस्पताल होने के कारण हमारी टीम को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली. लिहाजा हम मरीजों का हाल नहीं जान पाये. लेकिन जिस अस्पताल में 24 घंटे से बिजली गायब हो वहां के मरीजों का हाल बताने की जरूरत है क्या?


महामारी में भी सरकार का खेल देखिये
प्राचार्य डॉ जी के मिश्रा से जब ये पूछा गया कि आखिरकार उन्होंने बिजली विभाग से संपर्क कर अस्पताल में बिजली सप्लाई दुरूस्त क्यों नहीं कराया तो उन्होंने चौंकाने वाली जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बिजली विभाग ने कहा कि इस अस्पताल का भवन एल एंड टी कंपनी ने बनवाया है. उसके पास ही इसके रखरखाव का जिम्मा है. आप बिजली आपूर्ति बहाल कराने के लिए एल एंड टी कंपनी को बोलिये. जब एल एंड टी कंपनी से बात की गयी तो कहा गया कि उनके कई आदमी कोविड संक्रमित हो गये हैं औऱ अभी उनके पास आदमी नहीं है जिसे भेजकर बिजली ठीक करायी जा सके. 


24 घंटे तक इस ड्रामा के चलने के बाद जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से मधेपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिजली आपूर्ति ठीक की गयी. लेकिन क्या अब भी आपको शक है कि बिहार में कोरोना मरीजों की जान सिर्फ औऱ सिर्फ उपरवाले के ही सहारे है.