PATNA : बिहार में कितने अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए बिहार सरकार अब आंकड़े जुटाने की कवायद कर रही है। राज्य सरकार ने सभी 38 जिलों में चलने वाले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे अधिकारियों के बच्चों का ब्यौरा तलब किया है। राज्य सरकार की तरफ से इसके लिए सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी किया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश दिया है कि वह यह जानकारी जुटाने की सरकारी स्कूलों में कितने आईएएस, आईपीएस क्लास वन, क्लास टू स्तर के पदाधिकारियों के बच्चे पढ़ाई करते हैं।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की तरफ से इस बाबत सभी जिलों के डीएम और एसपी को आदेश पत्र भेज दिया गया है। इसमें पटना हाई कोर्ट की तरफ से दिए गए दिशानिर्देश की चर्चा की गई है। आपको बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह इस बात की जानकारी दें कि राज्य के सरकारी स्कूलों में कितने आईएएस, आईपीएस और अन्य अधिकारियों के बच्चे पढ़ते हैं। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से सभी जिलाधिकारियों से आंकड़ा इकट्ठा कर बताने का निर्देश दिया था। साथ ही टिप्पणी भी की थी कि जबतक अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने नहीं जाते तब तक स्थिति नहीं सुधरेगी।
जिलों से रिपोर्ट मिलने के बाद इसका पूरा डाटाबेस तैयार किया जाएगा और उसे पटना हाई कोर्ट के सामने राज्य सरकार की तरफ से रखा जाएगा। इस मामले में आगामी 4 अगस्त को मुख्य सचिव सभी जिलों के डीएम और एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा करेंगे। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आए आंकड़ों को कोर्ट के सामने रखा जाएगा। सभी जिलों के डीएम एसपी को सख्त हिदायत दी गई है कि वह इस मामले में लापरवाही ना बरतें। अपर मुख्य सचिव ने इस मामले में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी गाइडलाइन जारी किया है। दरअसल पटना हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को हटाए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी कि जब तक के अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे तब तक शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार नजर नहीं आएगा। पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ की टिप्पणी के बाद राज्य सरकार हरकत में आई है।