बिहार में कानून व्यवस्था से खुश नीतीश ने डीजीपी को दिया इनाम, 2022 तक पद पर बने रहेंगे एस के सिंघल, 8 महीने बाद होने वाले थे रिटायर

बिहार में कानून व्यवस्था से खुश नीतीश ने डीजीपी को दिया इनाम, 2022 तक पद पर बने रहेंगे एस के सिंघल, 8 महीने बाद होने वाले थे रिटायर

PATNA : बिहार में लॉ एंड आर्डर की स्थिति का इनाम डीजीपी एस के सिंघल को मिल गया है. एस के सिंघल अगले दो सालों तक यानि 2022 तक बिहार के डीजीपी बने रहेंगे. सरकार ने बकायदा इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. सरकार ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है.


बिहार सरकार की अधिसूचना
बिहार सरकार के गृह विभाग ने सोमवार को अधिसूचना जारी है. इसमें कहा गया है कि प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था. इस फैसले के आलोक में यूपीएससी ने डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए पैनल की अनुशंसा की थी. उसी पैनल की अनुशंसा के आधार पर संजीव कुमार सिंघल को डीजीपी बनाया गया है. संजीव कुमार सिंघल अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से दो साल तक पद पर बने रहेंगे. उन्होंने 20 दिसंबर 2020 को पदभार ग्रहण किया था और 19 दिसंबर 2022 तक इसी पद पर बने रहेंगे.




एसके सिंघल को बड़ा इनाम
बिहार के डीजीपी एसके सिंघल 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वे इसी साल सितंबर में रिटायर होने वाले थे. सरकार ने उन्हें 2022 तक डीजीपी पद पर बनाये रखने की अधिसूचना जारी कर दी है. यानि उनकी नौकरी सवा साल ज्यादा बढ़ा दी गयी है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी का कार्यकाल 2 साल तय किया था और सरकार ने इसी आदेश का हवाला देते हुए एस के सिंघल को इसका लाभ दिया है.


सरकार पर उठ रहे गंभीर सवाल
नीतीश सरकार ने डीजीपी एसके सिंघल को 2022 तक पद पर बनाये रखने की अधिसूचना तब जारी की है जब बिहार में लॉ एंड आर्डर को लेकर बेहद गंभीर सवाल उठ रहे हैं. बिहार में ताबड़तोड़ मर्डर और आपराधिक घटनाओं से लोग दहशत में हैं. रूपेश सिंह हत्याकांड जैसे मामलों से देश भर में नीतीश सरकार की फजीहत हुई है. इसके बावजूद सरकार ने डीजीपी को तोहफा दिया है.


गौरतलब है कि दो दिन पहले ही डीजीपी एसके सिंघल ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए नीतीश राज की ही पोल खोल दी थी. उन्होंने कहा था कि 2019 में अपराध में भारी इजाफा हुआ था. दरअसल डीजीपी एसके सिंघल पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय पर निशाना साधना चाह रहे थे लेकिन वे भूल गये कि 2019 में भी नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री थे. तमाम फजीहत के बावजूद सरकार एसके सिंघल को पुरस्कृत कर क्या साबित करना चाह रही है ये आमलोगों की समझ से परे की बात है.