PATNA : बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पेंच फंस गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही विपक्षी दलों के साथ इस मसले पर एकजुट नजर आ रहे हो लेकिन सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी को बिहार में जातीय जनगणना नागवार लग रही है। केंद्र सरकार ने देश में जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को खारिज किया था और इसके बाद बिहार बीजेपी भी इस मसले पर केंद्र के साथ खड़ी नजर आ रही है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात का खुलासा किया है कि जातीय जनगणना को लेकर बुलाई जाने वाली सर्वदलीय बैठक को लेकर अभी सबकी सहमति नहीं मिली है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जातीय जनगणना को लेकर विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया जा चुका है लेकिन बिहार में इसे लागू करने के लिए सबकी सहमति जरूरी है। 27 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाई जाने की खबरों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि फिलहाल सभी दलों की सहमति बैठक को लेकर नहीं मिल पाई है। सहमति मिलने के बाद ही बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में अगर सबकी राय बनती है तो कैबिनेट के पास सरकार के स्तर से प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद बिहार में जातीय जनगणना की प्रक्रिया शुरू होगी।
जातीय जनगणना को लेकर नीतीश आज जो कुछ कह गए उसका मतलब यह हुआ कि बीजेपी कहीं ना कहीं अभी भी नीतीश कुमार के साथ खड़ी नहीं है। तेजस्वी यादव भले ही नीतीश कुमार के साथ जातीय जनगणना को लेकर केंद्र पर दबाव बना रहे हो, भले ही बिहार में जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हो लेकिन बीजेपी के सरकार में रहते यह फैसला काफी मुश्किल लग रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार जातीय जनगणना पर आगे क्या स्टैंड लेंगे इसे लेकर सबकी नजरें टिकी हुई है लेकिन, नीतीश कुमार ने आज जो कुछ खुद कहा है उसका मतलब यही है कि सर्वदलीय बैठक पर ना तो अब तक सबकी सहमति बन पाई है और ना ही इस पर बहुत जल्द कोई फैसला हो जाए इसकी उम्मीद की जा सकती है। दरअसल, नीतीश कुमार ने खुद कहा है कि सबकी सहमति के बाद ही सरकार की तरफ से कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। ऐसे में अगर बीजेपी जातीय जनगणना का विरोध करती है तो बिहार में इसे कराना मुश्किल होगा।