PATNA : कोरोना महामारी को लेकर विशेषज्ञों ने जब भी तीसरी लहर की आशंका जताई तो उनकी चिंता में सबसे पहले मासूम बच्चे रहे। देश कोरोना की तीसरी की आशंका के बीच खड़ा है लेकिन बिहार में अब बच्चों की तबीयत तेजी के साथ बिगड़ने लगी है। पटना के साथ-साथ राज्य के सभी जिलों में वायरल बुखार का कहर देखने को मिल रहा है। सबसे हैरत की बात यह है कि वायरल बुखार की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे ही हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि पटना के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए उपलब्ध बेड फुल होने की स्थिति में है। पटना के पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस और यहां तक कि पटना एम्स में भी बच्चों के लिए मौजूद बेड फुल होने की स्थिति में हैं।
राज्य भर से मिले आंकड़ों के मुताबिक सारण में अब तक इस वायरल बुखार की चपेट में आने से 3 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि गोपालगंज में एक बच्चे की मौत हुई है। भागलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 70 बेड के शिशु वार्ड में 50 बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें 20 बच्चे वायरल बुखार से पीड़ित हैं। सारण के अमनौर प्रखंड के सिरसा खेमकरण टारापुर गांव में पिछले 4 दिनों के अंदर वायरल बुखार की वजह से तीन बच्चियों की मौत हुई है। अभी भी इस गांव में तकरीबन 5 दर्जन बच्चे बीमार हैं। मेडिकल टीम इस गांव में कैंप कर रही है। चिंता की बात यह है कि बच्चों को बुखार के दौरान सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। गोपालगंज में चमकी बुखार के लक्षण वाले एक बच्चे की मौत के बाद मेडिकल कर्मियों और डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। सरकार इस पूरी स्थिति को लेकर अलर्ट मोड में आ चुकी है।
एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में सीवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण सीतामढ़ी के कई बच्चे एडमिट हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ के मुताबिक यह वायरल बुखार कोरोना के वेरिएंट हो सकते हैं हालांकि पांच बच्चों की रिपोर्ट अब तक के निगेटिव आई है। छह माह तक के बच्चे इस वायरल बुखार की चपेट में सबसे ज्यादा आ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों को ना तो कोरोना है और ना ही चमकी बुखार, यह वायरल बुखार है और सही समय पर डॉक्टरों की सलाह लेना जरूरी है। पटना के चार बड़े अस्पतालों में 80 फ़ीसदी से ज्यादा बच्चों के बेड भर चुके हैं। पटना में शिशु विभाग के जो जनरल बेड है जो सभी फुल हो चुके हैं। एनएमसीएच में 136 बेड हैं जिनमें 85 बेड पर बच्चे एडमिट हैं।