बिहार में कोर्ट में फूट-फूट कर रोये बुजुर्ग तो जज ने चुकाया कर्ज: 18 साल पहले बेटी ब्याहने के लिए लिया था लोन, बैंक ने किया था केस

बिहार में कोर्ट में फूट-फूट कर रोये बुजुर्ग तो जज ने चुकाया कर्ज: 18 साल पहले बेटी ब्याहने के लिए लिया था लोन, बैंक ने किया था केस

PATNA: बिहार की एक जिला जज ने आज इंसानियत की मिसाल कायम कर दी. जिला जज की अदालत में एक बुजुर्ग व्यक्ति फूट फूट कर रोने लगा. उसने बेटी की शादी के लिए 18 साल पहले कर्ज लिया था. कर्ज नहीं चुका पाया तो बैंक ने केस कर दिया था. लाचार बुजुर्ग के पास बैंक को चुकाने के लिए पैसे नहीं थे. लेकिन जब वे कोर्ट में ही फूट फूट कर रोने लगे तो जिला जज ने अपनी जेब से उनका कर्ज चुकता कर दिया.


जहानाबाद जिला जज की इंसानियत

ये वाकया जहानाबाद का है. जहानाबाद में आज लोक अदालत के जरिये बैंक के पुराने कर्ज का सेटलमेंट किया जा रहा था. लोक अदालत में जिला जज राकेश सिंह खुद मौजूद थे. उसी दौरान पेश हुए एक बुजुर्ग को बैंक ने पैसा जमा करने को कहा. बुजुर्ग व्यक्ति राजेंद्र तिवारी कोर्ट में ही फूट फूट कर रोने लगे. उनकी बेबसी देख जिला जज खुद आगे आये और लोन की राशि अपनी जेब से भर दिया.


किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये लिया था कर्ज

लोक अदालत में राजेंद्र तिवारी ने बताया कि 18 साल पहले उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए कर्ज लिया था. उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लिया था. लेकिन पैसा नहीं रहने के कारण उसे लौटा नहीं पाये. लिहाजा कुछ हजार रूपये का कर्ज ब्याज सहित बढ़कर 36 हजार 775 रुपए हो गया. इसी बीच बैंक ने राजेंद्र तिवारी से पैसे वसूलने के लिए नोटिस भेजना शुरू किया. राजेंद्र तिवारी को कई बार नोटिस भेजा जा चुका था. इस बार उसे आखिरी नोटिस भेज कर लोक अदालत में हाजिर होने के लिए कहा गया था.


चंदा मांग कर सिर्फ 5 हजार रूपये का हो पाया था इंतजाम

बैंक से लिये गये लोन औऱ ब्याज की राशि लगभग 37 हजार रूपये हो चुकी थी. लेकिन बुजुर्ग की गरीबी को देखते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने उनसे 18 हजार 600 रूपये जमा कर लोन को चुकता करने का प्रस्ताव रखा. लेकिन बुजुर्ग राजेंद्र तिवारी के पास सिर्फ 5 हजार रूपये थे. उसी लोक अदालत में उनके गांव का एक युवक मौजूद था. उसने अपनी ओर से तीन हजार रूपये की मदद की. फिर भी राजेंद्र तिवारी के पास सिर्फ 8 हजार रूपये हो पाये.


उसके बाद लोक अदालत में ही बुजुर्ग राजेंद्र तिवारी रोने लगे. उन्होंने कहा कि किसी तरह चंदा मांग कर पांच हजार रूपये लेकर आये थे. गांव के युवक ने मदद की तो 8 हजार रूपये हो पाये हैं. अब वे और पैसे का इंतजाम नहीं कर सकते. राजेंद्र तिवारी लोक अदालत में ही फूट फूट कर रोने लगे. उनकी हालत देख वहां मौजूद जिला जज राकेश सिंह द्रवित हो गये. उन्होंने कर्ज चुकता करने के लिए बाकी के 10 हजार 600 रूपये अपनी ओर से देने का फैसला लिया. जिला जज ने तत्काल पैसे का इंतजाम किया औऱ बुजुर्ग का कर्ज चुकता कर दिया. जिला जज के इंसानियत की जहानाबाद में चर्चा हो रही है. बडी संख्या में वकीलों ने उन्हें इसके लिए बधाई दिया है.