PATNA : कोरोना की दूसरी लहर कम होने के बाद नीतीश सरकार ने अनलॉक विचार की गाइडलाइन जारी कर दी है. सरकार में दसवीं के ऊपर के शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की इजाजत दी है लेकिन कोचिंग संस्थानों को अभी भी राज्य में खोलने की इजाजत नहीं मिली है. ऐसे में कोचिंग के धंधे से जुड़े लोगों का दम फूलने लगा है. बीते साल और इस साल कोरोना की वजह से कोचिंग का धंधा चौपट हो चुका है. ऑनलाइन क्लासेज के जरिए कोचिंग संस्थान वह मुनाफा नहीं कमा पा रहे जो अब तक उन्हें मिलता रहा है.
बिहार में डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के लिए कोचिंग का धंधा सबसे ज्यादा मुनाफा वाला है. इस कारोबार में इन्वेस्ट करने वाले लोगों को मालूम है कि पैसा एक से दो साल में वापस आ जाएगा लेकिन अब महामारी के दौर में इस धंधे पर बुरा असर पड़ा है. सरकार ने कोचिंग संस्थान इसलिए नहीं खोले क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि यहां कोरोना गाइडलाइन्स का पूरी तरह से पालन नहीं किया जाएगा. कोचिंग संस्थान में 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं कराई जा सकती और इससे भीड़ बढ़ेगी.
इधर कोचिंग संस्थानों के संचालकों की मांग है कि जिस तरह दूसरे राज्य जैसे तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में कोचिंग संस्थान खोलने की अनुमति दी गई उसी तरह बिहार में भी कोचिंग संस्थान खोलने की अनुमति दी जाए. पिछले दो साल में कोचिंग संस्थान के संचालकों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कोचिंग सेंटरों का किराया, स्टाफ का वेतन, बिजली बिल और अन्य खर्चों के भुगतान करने की बड़ी समस्याएं सामने खड़ी है. पिछले डेढ़ साल से कोचिंग संस्थाओं को एक पैसे की भी आमदनी नहीं हुई है.