PATNA : बिहार में रैयतों के लिए एक अच्छी खबर है. क्योंकि आपको यह जानकार अब ख़ुशी होगी कि किसी भी मौजा की मापी कराने आए लोगों से उसके गांव का नक्शा नहीं मांगा जायेगा. इस नए बदलाव को लेकर नीतीश सरकार ने सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र भेज दिया है कि अब अंचल अधिकारी यानी कि सीओ मौजा की मापी कराने आये रैयतों से गांव का नक्शा नहीं मांगेंगे.
बिहार सरकार के भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जय सिंह ने राज्य के सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर यह आदेश दिया है कि कोई भी अंचलाधिकारी अब मौजा की मापी कराने आए लोगों से उसके गांव का नक्शा नहीं मांगेंगे. पत्र में स्पष्ट है कि सभी राजस्व मौजों का नक्शा दो प्रतियों में अंचल कार्यालयों में रखा जायेगा. आपको बता दें कि अब तक जमीन की मापी करने आए रैयतों से ही उसके गांव का नक्शा मांगा जाता था.
लोगों के पास गांव का नक्शा नहीं होने के कारण जमीन की मापी में काफी देरी होती थी. कई बार रैयत स्थानीय स्तर पर भी भाड़े पर नक्शा का इंतजाम करते थे, जिसके कारण 500 रुपए तक और भी ज्यादा खर्च बढ़ जाता था. यदि किसी तरह रैयतों द्वारा मानचित्र की व्यवस्था की जाती है, तो उसमें भिन्नता की आशंका रहती है.
आदेश की प्रति बिहार सर्वेक्षण कार्यालय, गुलजारबाग को भी दी गई है ताकि जिन अंचलों में सभी मौजों का नक्शा उपलब्ध नहीं है, वहां के अंचल अधिकारी गुलजारबाग से नक्शा मंगवा सकें. गुलजारबाग में बिहार के करीब सभी मौजों के CS/RS एवं चकबन्दी उपलब्ध हैं. अंचल अधिकारियों द्वारा रैयती जमीन की मापी में अमीन के एक दिन के वेतन का पारिश्रमिक नाजिर रसीद के जरिए भूमि मापी के इच्छुक लोगों से लिया जाता है.