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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 21 Nov 2023 06:35:11 PM IST
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PATNA: अब बिहार में सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 75 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया। बिहार विधानमंडल से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक को राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंजूरी दे दी है जिसके बाद गजट भी जारी कर दिया गया है। राज्य से सभी सरकारी विभागों में इस प्रावधानों के लागू होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को 1 अणे मार्ग स्थित 'संकल्प' में राज्य के सभी सरकारी विभागों में आरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2023 के प्रावधानों को लागू करने के लिए उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में सभी दलों की सहमति से जाति आधारित गणना कराई गई। जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद् में उस पर चर्चा की गई और उसके आधार पर सभी वर्गों की स्थिति को ध्यान में रखकर आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक किया गया। दोनों सदनों से यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित कराया गया और इसका गजट प्रकाशित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभाग इसको ध्यान में रखते हुए आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को पूर्णतः लागू करें ताकि लोगों को इसका तेजी से लाभ मिले।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों की आर्थिक स्थिति की भी गणना करायी गयी है जिसके आधार पर तय किया गया है कि प्रत्येक गरीब परिवार को दो लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। भूमिहीन परिवारों को मकान बनाने के लिए जमीन क्रय हेतु एक लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। जीविकोपार्जन योजना के प्रत्येक लाभार्थी को 2 लाख रूपये का लाभ दिया जायेगा। राज्य में अब तक 1 करोड़ 30 लाख जीविका दीदियां स्वयं सहायता समूह से जुड़ चुकी हैं, अब 1 करोड़ 50 लाख जीविका दीदियों को स्वयं सहायता समूह से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। शहरों में भी अब स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 ई० में सरकार में आने के बाद से राज्य सरकार सभी वर्गों के लिए न्याय के साथ विकास का कार्य कर रही है। सभी जाति एवं सभी वर्गों के हित के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर थे, जिन्हें स्कूल पहुंचाया गया और अब स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या आधे प्रतिशत से भी कम हो गयी है। जब सर्वे कराया गया तो पता चला कि पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तो देश की प्रजनन दर 2 थी और बिहार की भी प्रजनन दर 2 थी। पति-पत्नी में अगर पत्नी इंटर पास है तो देश की प्रजनन दर 1.7 थी और बिहार की प्रजनन दर 1.6 थी।
इसको ध्यान में रखते हुए लड़कियों की शिक्षा पर हमने काफी जोर दिया। लड़कियों के शिक्षित होने से राज्य की प्रजनन दर घटी है। महिलाओं के शिक्षित होने से न सिर्फ उनका भला होता है बल्कि पूरे परिवार एवं समाज का भला होता है। उन्होंने कहा कि राज्य में काफी संख्या में सड़कों और पुल-पुलियों का निर्माण कराया गया। राज्य के किसी भी हिस्से से पटना पहुंचने के लिए 6 घंटे का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया और अब 5 घंटे के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद राज्य का हरित आवरण क्षेत्र करीब 9 प्रतिशत था। काफी संख्या में पौधारोपण कराया गया और राज्य का हरित आवरण क्षेत्र अब 15 प्रतिशत से अधिक हो गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में भी पौधों के बीजों का छिड़काव कर पौधारोपण किया गया। जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाया जा रहा है। हर घर तक बिजली पहुंचा दी गई है। लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार द्वारा कई कार्य किए गए हैं। राज्य में शराबबंदी लागू की गई जिससे समाज का वातावरण बदला है। नीरा के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है और उससे बने हुए प्रोडक्ट को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कानून व्यवस्था को बेहतर बनाया गया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में लॉ एंड ऑर्डर को हर स्थिति में कायम रखें। जो भी व्यक्ति गड़बड़ करते हैं चाहे वे कोई भी हों उन पर सख्त कार्रवाई करें। समाज में प्रेम और भाईचारे का माहौल कायम किया गया। उन्होंने कहा कि मंदिर और कब्रिस्तान की घेराबंदी कराई गई है जो बचे हुए हैं उनकी घेराबंदी भी जल्द कराएं। राज्य में कई आईकोनिक बिल्डिंग बनाई गई है। कई नये सरकारी भवनों बनाए गए हैं। सभी का ठीक ढंग से मेंटेनेंस करवाएं। बेहतर पथों के निर्माण के साथ-साथ उसका मेंटेनेंस भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों को हर हालत में बेहतर शिक्षा जरूरी है। स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य बेहतर ढंग से कराएं। साथ ही सभी अभिभावकों को प्रेरित करें कि अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक आर०एस० भट्टी, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के०के० पाठक, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, पथ निर्माण, आपदा प्रबंधन सह स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ० एन० सरवन कुमार, ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल, गृह विभाग के सचिव के० सेंथिल कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जे०एस० गंगवार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव मो० सोहेल, भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।