PATNA : कोरोना महामारी के इस दौर में बिहार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित कोरोना मरीजों की पहचान और होम आइसोलेशन में इलाजरत रोगियों के सहयोग के लिए प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने का फैसला लिया है. इस काम के लिए इन्हें सूचक सह ट्रीटमेंट सपोर्टर कहा जाएगा. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है. इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सेवा के बदले संपूर्ण कार्य संपन्न किए जाने के बाद प्रति मरीज 200 रुपए भुगतान किया जाएगा. राशि का भुगतान DBT के माध्यम से आधार लिंक बैंक खाता में किया जाएगा.
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा संस्थान के द्वारा 15 हजार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पूर्व में ही प्रशिक्षित किया जा चुका है. इस काम के लिए जिला स्तर पर वर्चुअल माध्यम से ऐसे ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रवार कोरोना से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया जायेगा. ऐसे दक्ष ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना मरीजों की ट्रैकिंग, ट्रेसिंग और जांच में स्वास्थ्य विभाग को सहायता मिलने के साथ-साथ पॉजिटिव मरीजों को भी तत्काल स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा लाभ मिल सकेगा.
ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मुख्य काम ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना से संबंधित मरीज की पहचान करना, उनकी जांच कराने, उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाना है. साथ ही जांचोपरांत पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों को होम आइसोलेशन के दौरान ट्रैकिंग और उनका जिला नियंत्रण कक्ष के साथ समन्वय का काम करना है. साथ ही गंभीर मरीजों के संबंध में डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर और डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती कराने हेतु सूचना देना और आउटकम रिपोर्टिंग करना होगा. स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के मरीजों की जानकारी संबंधित केंद्रों के प्रभारी को देंगे.