नीतीश जी को शर्म आयेगी? कोर्ट बोली-बिहार के इस एसपी को कानून की मामूली समझ भी नहीं, तत्काल ट्रेनिंग के लिए भेजो

नीतीश जी को शर्म आयेगी? कोर्ट बोली-बिहार के इस एसपी को कानून की मामूली समझ भी नहीं, तत्काल ट्रेनिंग के लिए भेजो

PATNA : सुशासन औऱ कानून के राज के नारों के बीच कोर्ट ने ये पोल खोली है कि बिहार में कैसे कैसे पुलिस अधिकारियों को मलाईदार पोस्टिंग दी जा रही है. कोर्ट ने कहा है बिहार के एक एसपी समेत डीएसपी औऱ थानेदार को तत्काल कानून की ट्रेनिंग देने के लिए भेजा जाये. उन्हें कानून की मामूली समझ नहीं है. कोर्ट ने बिहार के डीजीपी के साथ साथ गृह मंत्रालय, राज्य सरकार औऱ केंद्र सरकार को पत्र भेज दिया है. कहा है-एसपी ने जो आदेश दिया है उसकी जांच कराइये औऱ तत्काल उन्हें ट्रेनिंग पर भेजिये. 

मधुबनी एसपी के कारनामे से हड़कंप

ये आदेश बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर कोर्ट के एडीजे वन अविनाश कुमार की कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मधुबनी के एसपी डॉ सत्यप्रकाश को कानून की मामूली औऱ शुरूआती जानकारी भी नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि वह निचले पुलिस अधिकारियों की ही नहीं बल्कि एसपी स्तर के अधिकारी की जांच से हतप्रभ, हैरान औऱ सदमे में है. क्या एक आईपीएस अधिकारी इस तरह की जांच कर सकता है. इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करनी पड़ रही है. कोर्ट ने कहा है कि मधुबनी के एसपी की जांच के साथ साथ उन्हें आईपीएस ट्रेनिंग सेंटर, हैदराबाद में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिये. 



क्या है मामला

मामला एक नाबालिग लड़की के अपहरण औऱ रेप का है. मधुबनी जिले के भैरवस्थान थाना क्षेत्र से 15 साल की एक लड़की का अपहरण कर लिया गया था. पुलिस ने 15 साल की इस लड़की को 19 साल की लड़की बना दिया. पॉस्को एक्ट से लेकर कानून की तमाम धाराओँ को रफा दफा कर दिया. कोर्ट के सामने जब पुलिस का सारा खेल उजागर हुआ तो नाराज एडीजे ने एसपी के साथ साथ डीएसपी औऱ थानेदार के खिलाफ कार्रवाई का आदेश जारी किया है. एडीजे प्रथम की कोर्ट ने 14 जुलाई को केंद्र से लेकर राज्य सरकार औऱ डीजीपी को पत्र भेज दिया है. एडीजे कोर्ट के पत्रांक संख्या 361 से केंद्र सरकार को, पत्रांक संख्या 362 से राज्य सरकार को औऱ पत्रांक संख्या 363 से डीजीपी को पत्र भेजा गया है. मामला एक नाबालिग के साथ रेप का है. पुलिस ने इसमें पास्को एक्ट, धारा 376 औऱ बाल विवाह अधिनियम की धारायें नहीं लगायी. वह भी तब जब नीतीश कुमार बिहार में बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. 

दरअसल मामला इसी साल 6 जनवरी का है. मधुबनी जिले के भैरवस्थान थाना क्षेत्र की एक महिला ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवायी कि उसकी 15 साल की बेटी का अपहरण कर लिया गया है. महिला ने अपनी प्राथमिकी में बलवीर सदाय, उसके पिता छोटू सदाय और उसकी मां पर नाबालिग लड़की के अपहरण का आरोप लगाया. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद घटना के मुख्य आरोपी बलवीर सदाय को गिरफ्तार कर लिया जो 25 फरवरी 2021 से जेल में है. 


पुलिस का कारनामा देखिये

मामला 15 साल की नाबालिग लड़की के अपहरण का था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर लडकी नाबालिग हो तो उसके साथ मर्जी से भी शारीरिक संबंध बनाना रेप माना जायेगा. नाबालिग लड़की से संबंधित मामले में पास्को लगेगा. वहीं अगर किसी ने उससे शादी की है तो उस पर बाल विवाह अधिनियम के तहत केस चलेगा. लेकिन मधुबनी पुलिस ने इन तमाम गंभीर धाराओं को दरकिनार कर सिर्फ शादी के लिए अपहरण का केस दर्ज किया. जो आईपीसी की धारा 363, 366A और 34 के तहत दर्ज किया गया. 

मेडिकल रिपोर्ट को भी एसपी ने दरकिनार कर दिया

दरअसल इस मामले में अभियुक्त बनाये गये लोगों ने दावा किया था कि लड़की की उम्र 19 साल है. बाद में उसकी मेडिकल बोर्ड से जांच करायी गयी तो उम्र सिर्फ 15 साल पायी गयी. मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद नाबालिक लड़की से संबंधित तमाम धारायें लगायी जानी चाहिये. लेकिन थानेदार से लेकर डीएसपी औऱ फिर एसपी ने पास्को, बलात्कार औऱ बाल विवाह कानून की धारायें नहीं लगायीं. पुलिस ने बेहद मामूली धारायें लगायीं. जिससे नाराज होकर कोर्ट ने कार्रवाई को कहा है. 

हालांकि कोर्ट को ये जानकारी दी गयी कि लड़की गर्भवती है औऱ उसे देखते हुए दोनों पक्षों में सुलहनामा लगाया गया है. लेकिन कोर्ट ने नाबालिग लड़की से जुडे इस मामले को सुलहनामे के लायक नहीं माना है. कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग लड़की के अपहरण औऱ रेप के बाद उससे सुलहनामा की गुहार देश की न्यायिक व्यवस्था की भावना के खिलाफ है. इसलिए इस केस में कड़े आदेश दिये जा रहे हैं. एडीजे कोर्ट के आदेश के बाद पूरे जिलें के पुलिस अधिकारियों में ह़ड़कंप मचा है.