GAYA: बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा है कि प्राचीन भारतीय ज्ञान बहुत उपयोगी है। अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए और भारत को भी।उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में इस ज्ञान को पुनः स्थापित करना जरूरी है। उन्होनें कहा कि बंदूक से ज्यादा ताकत सच्चाई में होती है।
दलाई लामा ने कहा कि फिर से इस ज्ञान को जागृत करना मानवीय जरूरत बन गई है। ताकि भारत आधुनिक शिक्षा और प्राचीन शिक्षा को एक साथ ला सके। यह आंतरिक शांति की जरूरत है। भारतीय समाज सेक्युलर है। पूरे दुनिया को अहिंसा और करुणा का रास्ता अपनाना चाहिए।उन्होनें कहा कि भारत में सर्वधर्म सद्भाव की परंपरा रही है। यहां से कई धर्मों का उदय हुआ। बावजूद यहां एक दूसरे में एकजुटता मिसाल है। जो किसी भी देश में नही है। सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को इस परंपरा को संजोने और संरक्षित रखने की जरूरत है।
दलाई लामा ने कहा है कि बंदूक से ज्यादा ताकत सच्चाई में होती है। हमारे पास सच्चाई की ताकत है, जबकि चीन के पास बंदूक की ताकत है। आज अहिंसा और करुणा दुनिया की जरूरत बन गई है। आज के समय में शांति के रास्ते पर चलकर ही अमन और तरक्की की कल्पना की जा सकती है।गया में बुधवार को दलाई लामा महाबोधि मंदिर पहुंचे और भगवान बुद्ध को नमन किया। उसके बाद गर्भगृह में जाकर उन्होंने पूजा-अर्चना की और उसके बाद बाद पवित्र महाबोधि वृक्ष का भी दर्शन और नमन किया।