PATNA : सड़क किनारे ठेले पर दुकान लगाने वालों के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत बिहार के भी स्ट्रीट वेंडर्स यानी कि रेहड़ी-पटरी वालों की किस्मत चमकने वाली है. इस योजना के तहत ठेले, खोमचे वाले 10,000 रुपये तक का कर्ज ले सकते हैं. 17वें स्ट्रीट वेंडर्स दिवस में भाग लेने पहुंचे बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि वह हाल ही में पीएम मोदी से मिलने गए थे. इस दौरान पीएम मोदी ने उन्हें कहा था कि स्वनिधि योजना का लाभ पहुंचाने के लिए वेंडर्स जोन बनाकर बैंक से दिलाया जाये. जिससे की स्ट्रीट वेंडर्स को एक स्थायित्व प्रदान किया जा सके.
डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि स्वनिधि योजना का लाभ लेने से सड़क किनारे ठेले पर दुकान लगाने वाले अपनी रोजी-रोटी कमा सकते हैं. उन्हें घर-परिवार चलाने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि चूंकि बिहार में उनके पास नगर विकास एवं आवास विभाग भी है. इसलिए वह इस कार्यक के लिए प्रयत्नशील भी हैं. विभाग के बैठक में भी उन्होंने स्थानीय नगर निकाय को इसे गंभीरता से लेने का आदेश दिया है.
आपको बता दें कि सड़क किनारे ठेले पर दुकान लगाने वालों के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू की गई है. इसके तहत ठेले, खोमचे वाले 10,000 रुपये तक कार्यशील पूंजी कर्ज ले सकते हैं. इस कर्ज को एक साल में मासिक किस्त में लौटाना होगा। मिश्रा ने कहा कि योजना के तहत एलओआर प्राप्त करने के बाद ठेले वाले दुकानदार कर्ज के लिए आवेदन दे सकते हैं.
मंत्रालय के अनुसार अनुशंसा पत्र यह मॉड्यूल उन ठेले दुकान चलाने वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को सुविधा देने के लिए तैयार किया गया है, जिनके पास पहचान पत्र (आईडी) और विक्रय प्रमाणपत्र (सीओवी) नहीं है और उनका नाम इस योजना के तहत लाभ उठाने के लिए सर्वेक्षण सूची में भी शामिल नहीं हैं. आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने एक जून, 2020 को पीएम स्वनिधि योजना शुरू की थी. इसका उद्येश्य कोविड-19 'लॉकडाउन के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए ठेले, खोमचे वालों को अपनी आजीविका फिर से शुरू करने के लिए किफायती दर पर कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करना है.
पीएम स्वनिधि मोबाइल ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. पीएम स्वनिधि मोबाइल ऐप को शुरू करने का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडर्स के लिए लोन अप्लाई करने के प्रोसेस को आसान बनाना है. इस ऐप के जरिये लोन देने वाली संस्थाओं के फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों जैसे बैंकिंग प्रतिनिधि (बीसी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) या माइक्रो-फाइनेंस संस्थानों (MFI) के एजेंटों के जरिये स्ट्रीट वेंडर्स तक आसानी से लोन सुविधा को पहुंचाया जा सकेगा.