PATNA: बिहार के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले मरीजों को जरूरी दवायें नहीं मिलती है. लेकिन राज्य के सरकारी अस्पतालों में करीब डेढ हजार करोड़ रूपये की दवा एक्सपायर हो गयी. केंद्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों में दवा और टीके के वितरण की मॉनिटरिंग के लिए सिस्टम बना रखा है. केंद्र सरकार की ड्रग एंड वैक्सीनेशन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (डीवीडीएमएस) की समीक्षा में बिहार के अस्पतालों का हाल पता चला.
केंद्र सरकार के डीवीडीएमएस पोर्टल पर जून के पहले सप्ताह की रिपोर्ट के मुताबिक कई जिलों में बड़े पैमाने पर दवा एक्सपायर हुई. सबसे ज्यादा दवा की एक्सपायरी सहरसा जिले में हुई. केंद्र के डीवीडीएमएस पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक सहरसा में 541 करोड़ 52 लाख 75 हजार की दवाएं एक्सपायर हो गयी. वहीं, मधुबनी में 155 करोड़ 49 लाख 58 हजार तो पटना में 106 करोड़ 48 लाख 41 हजार की दवा की एक्सपायरी हो गयी. बिहार के सभी 38 जिलों को जोड़ें तो यह आंकड़ा 1500 करोड़ के आसपास है.
स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप
केंद्र सरकार के डीवीडीएमएस की रिपोर्ट के बाद बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. सरकारी अस्पतालों में दवा वितरण का हाल जानने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की अध्यक्षता में बैठक हुई. समीक्षा में पता चला कि मामला कुछ औऱ है. दरअसल, 2018 से सरकारी अस्पतालों के लिए नया सिस्टम लागू है. इसमें सभी जिलों को पोर्टल के माध्यम से हर तिमाही के पहले 10 दिन में जरूरी दवाओं की ऑनलाइन मांग करनी होती है. दवा मिलने के बाद ये भी रिपोर्ट देनी पड़ती है कि कितनी दवा वितरित की गयी. लेकिन अधिकतर अस्पताल और जिला दवा भंडारगृहों ने भी ये रिपोर्ट ही नहीं दिया कि कितनी दवा बांटी गयी.
ऐसे में केंद्र सरकार के पास ये आंकड़ा है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में दवा भेजी गयी. लेकिन इसका कोई हिसाब किताब नहीं है कि उसमें से कितनी दवा बांटी गयी. तभी दवा की एक्सपायरी डेट बीतने के बाद केंद्र सरकार की रिपोर्ट में सभी दवाओं को एक्सपायर दिखा दिया गया. स्थिति ये है कि पटना के श्री गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में ही 4 करोड़ 85 लाख से ज्यादा की दवायें एक्सपायर दिखा रहा है. गुरु गोविंद सिंह सदर हास्पिटल के अधीक्षक ने इस संबंध में सिविल सर्जन को रिपोर्ट भी भेजी है.
जांच में खुला राज
केंद्र सरकार की रिपोर्ट के बाद बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने जब जिला दवा भंडार गृहों और सरकारी अस्पतालों के फार्मासिस्टों पर इतनी अधिक दवाएं एक्सपायर होने की जिम्मेदारी डाली गई तो उनमें हड़कंप मच गया. इसके बाद दवा भंडार गृह और अस्पतालों ने रजिस्टर दिखाना शुरू किया. इसमें ये दिखाया गया कि सभी दवाओं की खपत हो गई लेकिन पोर्टल पर अपलोड नहीं करने के कारण वे एक्सपायर में शामिल कर दिये गये हैं.
सिविल सर्जनों को आदेश जारी
डेढ़ हजार करोड़ की दवा एक्सपायर होने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सभी सिविल सर्जनों को फरमान जारी किया है. उनसे कहा गया है कि वे सरकारी अस्पतालों द्वारा दवा की मांग, आपूर्ति, वितरण और एक्सपायर होने के आंकड़े डीवीडीएमएस पोर्टल पर अपलोड करने और एक्सपायर दवाओं का मानक के अनुरूप नष्ट करना सुनिश्चित करें. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि इस आदेश का कठोरता से अनुपालन कराया जाए क्योंकि दवा खपत के बावजूद पोर्टल पर प्रविष्टि नहीं होने से वे एक्सपायर दिखाती है. डीवीडीएमएस के आधार पर ही केंद्र सरकार समीक्षा करती है औऱ जरूरत के मुताबिक राज्य सरकार को संसाधन उपलब्ध कराती है.