PATNA : बिहार के विधायकों और मंत्रियों के लिए बड़ी खबर है. विधायक, विधान पार्षदों और मंत्रियों के वेतन में 50 फीसदी कटौती हो सकती है. उनके विधायक फंड को भी दो साल के लिए रोक दिया जायेगा. कोरोना संकट से जूझ रही नीतीश सरकार ये बड़ा फैसला ले सकती है. नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट की आपात बैठक बुलायी है जिसमें ये फैसला लिया जा सकता है.
नीतीश कैबिनेट की आपात बैठक कल
बुधवार को नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट की आपात बैठक बुलायी है. कल शाम 5 बजे कैबिनेट की बैठक बुलायी गयी है. कोरोना संकट के बाद ये नीतीश कैबिनेट की पहली बैठक होगी. हालांकि ये बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होगी. नीतीश कुमार अपने आवास एक अण्णे मार्ग में मौजूद रहेंगे. वहीं दूसरे मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक में जुड़ेंगे. बिहार के मंत्रियों के आवास या सरकारी दफ्तर से वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था नहीं है. लिहाजा सरकार ने इसका रास्ता निकाला है.
सूबे के सभी मंत्रियों को अपने विभाग के प्रधान सचिव या सचिव के कक्ष में मौजूद रहने को कहा गया है. सभी प्रधान सचिवों या सचिवों के चेंबर से वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था है. सचिव के कक्ष से ही मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कैबिनेट की बैठक में शामिल होंगे. कैबेनिट की बैठक की सूचना मिलने के बाद सरकारी इंजीनियरों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था दुरूस्त कर दिया है.
कोरोना पर लिये जायेंगे कई अहम फैसले
सरकारी सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बुधवार को होने वाली बैठक में कोरोना को लेकर कई अहम फैसले लिये जायेंगे. सरकारी सूत्रों की मानें तो बिहार के विधायकों, विधान पार्षदों और मंत्रियों के वेतन में 50 फीसदी की कटौती होने जा रही है. यानि उन्हें सिर्फ आधा वेतन मिलेगा. वहीं, सूबे में विधायक फंड को भी दो साल के लिए रोका जा सकता है. फिलहाल बिहार के हर विधायक और विधान पार्षद को 3 करोड़ सलाना मिलते हैं जिसे वे अपनी मर्जी के मुताबिक योजनाओं में खर्च करते हैं. सरकार दो साल के लिए विधायक फंड पर रोक लगाने की तैयारी में है.
केंद्र सरकार की तर्ज पर बिहार में होगा फैसला
दरअसल नरेंद्र मोदी ने पहले ही सांसदों और मंत्रियों के वेतन में 30 फीसदी कटौती करने के साथ ही सांसद फंड को दो साल के लिए समाप्त कर दिया है. नीतीश कुमार उससे एक कदम आगे बढ़ कर वेतन में 50 फीसदी कटौती कर सकते हैं.