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1st Bihar Published by: Updated Sun, 16 Oct 2022 06:27:57 PM IST
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PATNA: किसी सूबे के डीजीपी यानि पुलिस के मुखिया को कोई जालसाज कॉल करके कहे कि मैं हाईकोर्ट का जज बोल रहा हूं, आप एक गंभीर केस में फंसे एसएसपी को आरोप मुक्त कर दें. उस फोन कॉल के बाद वाकई ये आदेश निकल जाये कि एसएसपी के खिलाफ दर्ज केस मिस्टेक ऑफ लॉ यानि कानूनी भूल है तो आप क्या कहेंगे. बिहार के सत्ता के गलियारे के सबसे बड़े जालसाज माने जाने वाले अभिषेक अग्रवाल नाम के एक दलाल के पकड़े जाने के बाद ऐसी ही कहानी सामने आ रही है. अभिषेक अग्रवाल सूबे के एक दर्जन से ज्यादा आईपीएस अधिकरियों का बेहद करीबी बताया जाता है. उसकी गिरफ्तारी के बाद हैरान करने वाली कहानियां सामने आयी हैं.
पहले एसएसपी का कारनामा जानिये
करीब पांच महीने पहले बिहार सरकार ने गया के एसएसपी रहे आदित्य कुमार के खिलाफ शराब मामले में एफआईआर करने का आदेश दिया था. गया के एसएसपी रहे आदित्य कुमार पर शराब के एक मामले को रफा-दफा करने का आऱोप था. मामला करीब 18 महीने पुराना था. दरअसल गया के फतेहपुर थाने में 8 मार्च 2021 को एक बाइक को शराब के साथ पकड़ा गया था. फतेहपुर के तत्कालीन थानेदार संजय कुमार ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय सिर्फ सनहा दर्ज कर घटना की लीपापोती कर दी. बाद में उसी थाने में 26 मार्च 2021 को शराब से भरी एक सैंट्रो कार पकड़ी गयी. थानेदार ने फिर कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया और सनहा दर्ज कर काम पूरा कर लिया.
उस वक्त गया के एसएसपी थे आदित्य कुमार. फतेहपुर के थानेदार संजय कुमार उऩके बेहद खास बताये जाते थे. संजय कुमार के कारनामे रफा दफा हो गये होते लेकिन बात बिहार पुलिस के हेडक्वार्टर तक पहुंची. जब उपर तक बात पहुंची तो फतेहपुर के तत्कालीन थानेदार के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया. गया के तत्कालीन एएसपी मनीष कुमार ने फतेहपुर थानेदार के कारनामों की जांच की. जांच में उन्हें दोषी पाया और कार्रवाई की अनुशंसा कर दी. लेकिन एसएसपी ने थानेदार संजय कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
इसी बीच मामले की जानकारी मगध प्रक्षेत्र के आईजी अमित लोढ़ा तक पहुंची. जब आईजी ने एसएसपी से इस बाबत पूछताछ की तब भी थानेदार महफूज रहे. आईजी के हस्तक्षेप के बावजूद एसएसपी आदित्य कुमार ने थानेदार संजय कुमार को निलंबित या बर्खास्त करने के बजाय उन्हें सिर्फ लाइन हाजिर कर छोड़ दिया. हद देखिये लाइऩ हाजिर होने के 15 दिन बाद एसएसपी ने संजय कुमार को बाराचट्टी थाने में तैनात कर दिया. तब आईजी ने हस्तक्षेप करते हुए संजय कुमार का तबादला औरंगाबाद कर दिया था. इस मामले में आईजी औऱ एसएसपी के बीच खुली तकरार के बाद राज्य सरकार ने दोनों का ट्रांसफर कर दिया था.
राज्य सरकार ने अपने स्तर से पूरे मामले की जांच भी करायी थी. इसी जांच में एसएसपी आदित्य कुमार के कारनामे सामने आये. एसएसपी ने शराब के मामले में कैसे थानेदार को बचाया ये बात भी जांच में सामने आयी. तब राज्य सरकार के निर्देश पर गया के फतेहपुर थाने में तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार और तत्कालीन थानेदार संजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गयी.
अभिषेक के फोन कॉल पर आरोप मुक्त हो गये एसएसपी
गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ जांच चल ही रही थी कि सितंबर महीने में दूसरी खबर आय़ी. खबर ये आयी कि डीजीपी के स्तर से गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया है. उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को मिस्टेक ऑफ लॉ यानि कानूनी भूल करार दिया गया.
लेकिन अब राज खुला है कि ये कानूनी भूल कैसे हुई. मामला तब खुला है जब बिहार की एसयूवी यानि स्पेशल विजलेंस यूनिट ने अभिषेक अग्रवाल नाम के एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया है. अभिषेक अग्रवाल नाम का ये शख्स गया के तत्कालीन एसएसपी रहे आदित्य कुमार का बेहद करीबी बताया जाता रहा है, अब पुलिस मुख्यालय से खबर ये आ रही है कि अभिषेक अग्रवाल ने खुद को पटना हाईकोर्ट का एक सीनियर जज बताकर बिहार के डीजीपी एस के सिंघल को कॉल किया था. उसी कॉल के बाद गया के तत्कालीन एसएसपी के खिलाफ दर्ज मामले को मिस्टेक ऑफ लॉ करार दिया गया था.
इस मामले में पुलिस मुख्यालय कुछ बोल नहीं रहा है. बिहार के डीजीपी भी खामोश हैं. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या कोई जालसाज खुद को जज बताकर डीजीपी को कॉल करेगा औऱ डीजीपी उसके कहे अनुसार कार्रवाई कर देंगे. फर्स्ट बिहार ने कई दफे बिहार के डीजीपी एसके सिंघल को कॉल किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.
बड़े राज खुलेंगे
पुलिस मुख्यालय से ही जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक अभिषेक अग्रवाल नाम का ये शख्स बिहार के कई आईपीएस अधिकारियों का बेहद करीबी रहा है. फर्स्ट बिहार के पास उसकी कई तस्वीरें हैं जिसमें वह सीनियर आईपीएस अधिकारियों के साथ नजर आ रहा है. अभिषेक अग्रवाल पटना के ही जेडी वीमेंस कॉलेज के पास का रहने वाला है. एसयूवी ने आज उसे उठाया है. लेकिन सवाल ये है कि उससे सही तरीके से पूछताछ होगी या नहीं. अगर सही से पूछताछ हो तो कई बड़े राज सामने आ सकते हैं.