बिहार पुलिस का इकबाल खत्म! दो SP और 4 DSP के नपने के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन, बालू बेचकर करोड़ों कमा रहे माफिया

बिहार पुलिस का इकबाल खत्म! दो SP और 4 DSP के नपने के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन, बालू बेचकर करोड़ों कमा रहे माफिया

ARA : सोन नदी में प्रतिबंध के बावजूद अवैध बालू खनन को लेकर सरकार ने दो एसपी, चार डीएसपी, एक एसडीएम, दस थानेदार, दर्जनभर दारोगा, तीन सीओ और एमवीआई समेत तीन दर्जन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया. मगर फिर भी सोन नदी में अवैध बालू खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. ताज्जुब की बात है कि बड़ी ही तेजी से वृहद पैमाने पर बालू के अवैध खनन का धंधा उसी इलाके में किया जा रहा है, जहां के छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारियों पर गाज गिरी.


सरकार ने जिन अफसरों के ऊपर कार्रवाई की, उनमें से ज्यादातर अधिकारी भोजपुर जिले के थे. एसपी, डीएसपी, सीओ से लेकर थानेदार तक. इन सब के ऊपर कार्रवाई हुई लेकिन कार्रवाई के महज कुछ ही घंटे बीतने के बाद सोन नदी से सोना लूटने का कार्य एक बार फिर से गति पकड़ रहा है. दरअसल भोजपुर जिले से जो ताजा तस्वीरें सामने आई हैं, वे काफी हैरान करने वाली हैं. इन तस्वीरों को देखकर सरकार भी अचेत पड़ सकती है.



दरअसल जो ताज़ी तस्वीरें भोजपुर जिले से सामने आई हैं, उनमें साफ तौर पर देखा जा रहा है कि एक, दो या दस दर्जन नहीं बल्कि हजारों की संख्या में नाव सोन नदी में दिखाई दे रही हैं. स्थानीय लोगों का दावा है कि ऐसी तस्वीरें शाम ढलते हर रोज देखी जाती हैं. एक साथ हजारों हजार की संख्या में नाव लेकर बालू माफिया सोन नदी में उतरते हैं और सोन नदी के गर्भ से सोना लूटकर ले जाते हैं. 



एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि प्रतिदिन हजारों नाव सोन नदी में उतरती हैं. इन नावों से बालू बेचकर करोड़ों रुपये का अवैध कारोबार किया जाता है. उन्होंने बताया कि सोन नदी से निकला बालू बिहार और यूपी समेत कई राज्यों में खपाया जाता है. उस व्यक्ति ने कहा कि सरकार की दृढ इच्छा नहीं है कि वे अवैध खनन को रोके. प्रशासन चाहेगी तो आज भी आरा और छपरा में हजारों ट्रक चलते रहेंगे. यहां से बालू निकाल कर वैशाली, सोनपुर के दियारा और यूपी के बैरिया में बहुत सारे बिचौलियों से बेचा जाता है. 


इस शख्स ने ये भी बताया कि एक नाव पर लगभग 20 से अधिक मजदुर रहते हैं. और ऐस नहीं है कि ये सभी पटना, आरा या आसपास के इलाकों के ही रहने वाले होते हैं. यहां खगड़िया जैसे दूर दर्ज दराज के जिलों से भी मजदूर आते हैं. खनन रूका है तो सरकार को इनके जीवन यापन के बारे में भी सोचना चाहिए. इन मजदूरों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. 



पुलिस प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद भी बड़े पैमाने पर हो रहे बालू के अवैध खनन को लेकर भोजपुर जिले के नवपदस्थापित एसपी विनय तिवारी ने कहा कि "ऐसी घटनाएं मेरे प्रकाश में आई हैं. हमलोग दिन या रात में अलग-अलग समय पर छापेमारी कर रहे हैं. यह बहुत बड़ी चुनौती है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. पुलिस अपनी ओर से स्ट्रेटेजी बनाकर का कर रही है. उस स्ट्रेटेजी को अलग-अलग फेज में धरातल पर उतारा जायेगा. इसके परिणाम भी सामने आये हैं."


भोजपुर के एसपी विनय ने ये भी कहा कि "पुलिस कार्रवाई कर रही है. नावों को जब्त किया जा रहा है. गिरफ्तारियां भी हुई हैं." जब्त की गई नावों की चोरी को लेकर लेकर पुलिस कप्तान ने कहा कि "हमलोग जो भी सामान जब्त करते हैं और उसे थाना लाने की स्थिति में नहीं रहते तो उसे किसी की निगरानी में दे देते हैं और उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है कि वे चीजों की सुरक्षा करे."


विनय तिवारी, एसपी, भोजपुर


एसपी ने आगे कहा कि "चूंकि नाव बहुत बड़ी होती है. इसलिए ये संभव नहीं है कि उसे थाना पर लाया जाये. इसलिए फिलहाल जिला पुलिस बल से पुलिस फोर्स और पुलिस अधियकारियों को प्रतिनियुक्त किया गया है. जहां कुछ जब्त नावों को एकत्रित किया गया है. 


गौरतलब हो कि पिछले दिनों एसपी विनय तिवारी के नेतृत्व में एक बड़ी टीम ने सोन इलाके में लगभग 10 घंटे तक छापेमारी की. इस दौरान पुलिस ने दियारा इलाके के सुरौंधा, चंदपुरा, महादेवचक सेमरिया, मखदुमपुर, फुहा, कमालूचक महुईमहाल इलाके तक सोन के इलाके को खंगाला. पूरे दिन चली इस छापेमारी में एक-एक कर 9 नावों को जब्त किया गया. इस दौरान करीब 48 मजदूर भी पकड़े गए. ये सभी मजदूर, पटना, सारण , वैशाली और यूपी के रहने वाले थे.



बिहार सरकार, जिला पुलिस और प्रशासन की इतनी कठोर कार्रवाई के बावजूद भी बालू माफिया कंट्रोल से बाहर हैं. उनकी नाव को जब्त कर सुरक्षित रखने में पुलिस भी असक्षम है. कार्रवाई के बाद भी बालू माफिया सोन से सोना लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं. शाम ढलते सोन पर माफियाओं का कब्जा हो जाता है. वे जब चाहें, जहां चाहें, जैसे चाहें सोन से बालू निकलते हैं और मनमाने रेट पर इसे बिचौलियों और अन्य ग्राहकों को बेचते हैं. प्रतिदिन करोड़ों रुपये का खेल होता है. इतना कि आम आदमी इसका आकलन भी नहीं सक सकता.