तो क्या कोरोना ने इंटर परीक्षार्थियों को कदाचार के लिए किया मजबूर, बीते साल से ज्यादा दोगुने छात्र चीटिंग करते पकड़े गए

तो क्या कोरोना ने इंटर परीक्षार्थियों को कदाचार के लिए किया मजबूर, बीते साल से ज्यादा दोगुने छात्र चीटिंग करते पकड़े गए

PATNA : कोरोना महामारी के दौर में पहली बार बिहार इंटरमीडिएट की परीक्षाएं संपन्न हो गईं. परीक्षा शनिवार को खत्म हो गई और अब रिजल्ट के लिए कॉपियों के मूल्यांकन का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा. इंटर परीक्षा के दौरान इस साल बड़ी तादाद में छात्र कदाचार करते हुए पाए गए और उन्हें निष्कासित भी किया गया. पिछले साल की तुलना में इस साल लगभग दोगुने छात्रों को परीक्षा से निष्कासित किया गया, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या कोरोना महामारी में छात्रों की पढ़ाई को प्रभावित किया और वह कदाचार करने को मजबूर हुए.


बीते साल इंटर परीक्षा के दौरान कुल 361 छात्रों को कदाचार के आरोप में निष्कासित किया गया था लेकिन इस साल यह संख्या बढ़कर 672 हो गई. बिहार बोर्ड में कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन किया और परीक्षा के दौरान कोरोना को लेकर गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया. इंटर परीक्षा के दौरान इस साल बड़ी संख्या में फर्जी परीक्षार्थियों को भी पकड़ा गया, जो दूसरे की जगह बैठकर एग्जाम दे रहे थे. सबसे अधिक के फर्जी परीक्षार्थी भागलपुर जिले में पकड़े गए जबकि दूसरे नंबर पर सुपौल जिला रहा. भागलपुर में 33 से फर्जी परीक्षार्थी पकड़े गए जबकि सुपौल में 19 और पटना और नालंदा जिलों में 44 फर्जी परीक्षार्थी पकड़े गए.


सबसे अधिक कदाचार के मामले जमुई जिले में सामने आए. यहां से कुल 107 परीक्षार्थियों को निष्कासित किया गया. जबकि भोजपुर जिले में 90 परीक्षार्थी एक्सपेल्ड किए गए. नालंदा में यह आंकड़ा 75 रहा. जबकि जहानाबाद में 32, रोहतास में 31, नवादा में 39, औरंगाबाद में 35 और गया में 32 परीक्षार्थी निष्कासित किए गए. कदाचार के मामले में पटना के अंदर 19 छात्रों को निष्कासित किया गया.