पटना में जिम के गेट पर झोले में मिली नवजात: मच्छरों से सूजा चेहरा देखकर जिम ऑनर ने गोद लिया, नाम रखा ‘एंजल’ Bihar Assembly Election : दूसरे चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम, 20 जिलों में तैनात 1650 कंपनियां और 4 लाख जवान UPSC IFS Mains 2025: IFS मेन्स परीक्षा 2025: UPSC ने एडमिट कार्ड जारी किया, पूरी जानकारी यहां Bihar election : बिहार चुनाव में अचानक घनबेरिया का पेड़ा बना चर्चा का स्वाद, अमित शाह ने भी की जमुई की मिठास की तारीफ; जानिए क्या है इसकी पूरी कहानी Success Story: जानिए कौन हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तदाशा मिश्रा? आखिर क्यों झारखंड में मिली इतनी बड़ी जिम्मेदारी Bihar election 2025 : मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट न देने पर बीजेपी का बड़ा बयान,कहा - हम इस तरह के प्रत्याशी ... Bihar Election 2025: चुनावी ड्यूटी से लौटते समय ITBP जवानों की बस धू-धू कर जली, बड़ा हादसा होते-होते टला Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में युवक की बेरहमी से हत्या, मंदिर के पास मिला शव Parliament Winter Session 2025: इस दिन से शुरू होगा संसद का शीतकालीन सत्र, केंद्रीय मंत्री ने बताया कबतक चलेगा सेशन Parliament Winter Session 2025: इस दिन से शुरू होगा संसद का शीतकालीन सत्र, केंद्रीय मंत्री ने बताया कबतक चलेगा सेशन
1st Bihar Published by: Updated Sat, 05 Feb 2022 07:56:38 AM IST
- फ़ोटो
PATNA : जनहित याचिका में राज्य के कैबिनेट मंत्री को भी प्रतिवादी बनाने पर पटना हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए टिप्पणी किया है कि याचिका को बिना सोचे समझे आखिर ऐसे मामलें क्यों दायर किया जाता है ? मामला बिहार राज्य खाद्य निगम के वित्तीय लेखा जोखा के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट को नियुक्त करने हेतु जारी किए गए टेंडर नोटिस को रद्द करने से जुड़ा हुआ है।
इस नोटिस के विरुद्ध सीए संजय कुमार झा ने एक जनहित याचिका दायर किया था, जिसमें पहला प्रतिवादी खाद्य उपभोक्ता मंत्री लेशी सिंह को बनाया गया था। सुनवाई के दौरान राज्य खाद्य निगम के वरीय अधिवक्ता अंजनी कुमार ने प्रारंभिक आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि इस याचिका में सरकार के कैबिनेट मंत्री को प्रतिवादी बनाना गलत और अनुचित है। इसलिए उन्होंने याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट से याचिकाकर्ता पर अर्थदंड लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मंत्री की कार्यवाही कोई व्यक्तिगत नहीं है और न ही कोई दुर्भावना का आरोप लगाया गया है।
फिर रिट याचिकाओं में मंत्री को प्रतिवादी बनाना न ही सिर्फ अनुचित है, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग भी है। चूंकि याचिकाकर्ता के वकील की तबियत खराब थी, इसलिए मामले को स्थगित करने का अनुरोध कोर्ट से किया गया था। चीफ जस्टिस संजय करोल की खण्डपीठ ने याचिका में दर्ज कैबिनेट मंत्री का नाम को प्रतिवादियों की सूची से हटाने का निर्देश रजिस्ट्री को देते हुए मामले को 7 फरवरी,2022 तक स्थगित कर दिया।
इसी प्रकार से दरभंगा के हायाघाट को नगर पंचायत बनाने को लेकर दायर हुई एक अन्य जनहित याचिका में भारत के महालेखाकार को प्रतिवादी बनाए जाने को लेकर भी कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई थी। खण्डपीठ ने याचिकाकर्ता विश्वनाथ मिश्रा के अधिवक्ता को जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए मामले को निष्पादित कर दिया।