PATNA : पहले शराब की जिस परिवार का शराब पर एक हजार रूपये का खर्च होता था, अब उसे उसी शराब के लिए दो-ढ़ाई हजार रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इससे परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा गयी है. लिहाजा बिहार में शराबबंदी को तत्काल खत्म कर देना चाहिये. बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऐसे ही तर्कों के साथ शराबबंदी समाप्त करने की मांग की है.
नये उम्र के लड़के-लड़कियां होम डिलेवरी कर रहे
अजीत शर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि शराबबंदी का हाल तो ये है कि नये उम्र के लड़के-लड़कियां पढ़ाई लिखाई छोड़ कर शराब की होम डिलेवरी कर रहे हैं. शराबबंदी के फैसले के बाद लगा था कि गरीबों का पैसा बचेगा लेकिन गरीबों का और ज्यादा पैसा खर्च हो रहा है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.
नकली शराब भी बिकने लगी है
अजीत शर्मा ने अपने पत्र में कहा है कि लाइसेंसी दुकानों से शराब नहीं बिकने के कारण नकली शराब की होम डिलेवरी और बिक्री भी हो रही है. बिहार में दर्जनों लोग नकली शराब पीने के कारण मौत के मुंह में समा चुके हैं. आगे और ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है.
दस हजार करोड़ कमा रहे शराब माफिया
अजीत शर्मा ने अपने पत्र में कहा है कि बिहार में शराबबंदी के कारण सरकार को हर साल चार-पांच हजार करोड़ रूपये के राजस्व की हानि हो रही है. वहीं अवैध शराब के कारोबारी इस धंधे से इससे दोगुना पैसा कमा रहे हैं. यानि बिहार में अवैध शराब के कारोबारियों के पास दस हजार करोड़ रूपये जा रहा है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता ने अपने पत्र में कहा है कि नीतीश कुमार ने जब शराबबंदी का फैसला लिया था तो कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था. लेकिन शराबबंदी बिहार में लागू ही नहीं हो पायी. दो-ढ़ाई गुणे ज्यादा पैसा पर शराब हर जगह उपलब्ध है. अवैध शराब से माफिया ही नहीं बल्कि पुलिस, प्रशासन और राजनेता भी मोटा पैसा कमा रहे हैं.
अजीत शर्मा ने कहा है कि नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी का फैसला वापस लें. शराब की बिक्री से जो पैसा आये उसे बिहार के विकास में खर्च करें. उससे उद्योग लगाकर बिहार के युवाओं को रोजगार दें.