PATNA : ये खबर आपको हैरान कर सकती है लेकिन ये फेक न्यूज नहीं है. बिहार बीजेपी का कोई सीनियर लीडर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने औऱ बात करने को राजी नहीं है. न दोनों डिप्टी सीएम में से कोई और ना ही प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल. प्रधानमंत्री ने मिलने का समय दे दिया है लेकिन बिहार बीजेपी का कोई सीनियर लीडर मिलने जाने को तैयार नहीं है.
जातीय जनगणना पर फंसी बीजेपी का हाल
अब पूरी कहानी समझिये. मामला जातीय जनगणना का है. तेजस्वी यादव ने सलाह दिया था औऱ नीतीश कुमार ने उसे तत्काल मान लिया था. सलाह ये थी कि नीतीश कुमार बिहार से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री के पास चलें औऱ उनसे कहें कि वे देश में जाति के आधार पर जनगणना करायें. नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी से पत्र लिख कर समय मांगा था. प्रधानमंत्री ने नीतीश के नेतृत्व में बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को 23 अगस्त को मिलने के लिए बुलाया है.
आज वो पूरी लिस्ट सामने आयी है जिसमें उन लोगों के नाम हैं जो प्रधानमंत्री से मिलने जायेंगे. जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार के साथ साथ उनके सबसे सीनियर मंत्री विजय कुमार चौधरी रहेंगे. राजद की ओऱ से तेजस्वी प्रसाद यादव तो कांग्रेस से उसके विधायक दल के नेता अजीत शर्मा. उसके अलावा बिहार की सत्ता में साझीदार हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी औऱ वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी रहेंगे. उस प्रतिनिधिमंडल में माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम, ओवेसी की पार्टी AIMIM के विधायक दल के नेता अख्तरूल ईमान के साथ साथ सीपीआई औऱ सीपीएम के नेता भी रहेंगे.
अब वो नाम भी जान लीजिये जो इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी का नुमाइंदा बन कर जाने वाला है. बीजेपी की ओर से राज्य सरकार में मंत्री जनक राम उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में जायेगा जो प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा. है न दिलचस्प बात. प्रधानमंत्री से मिलने जाना है, मुख्यमंत्री प्रतिनिधिमंडल की अगुआई करेंगे औऱ बीजेपी का कोई सीनियर लीडर उसमें शामिल नहीं होगा. ना डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद और ना ही रेणू देवी. ना प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल. बीजेपी अपने मंत्री जनक राम को भेजकर कोरम पूरा करेगी.
सांप-छछूंदर की हालत
दरअसल बीजेपी की हालत सांप-छछूंदर वाली हो गयी है. जातिगत जनगणना का मामला न निगलते बन रहा है औऱ न उगलते. केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है जो कह चुकी है कि जातिगत जनगणना नहीं होगी. लेकिन नीतीश कुमार को बीजेपी को चोट देने का मौका मिल गया. लिहाजा उनके सुर आऱजेडी से मिल गये हैं. नीतीश औऱ उनकी पार्टी वही भाषा बोल रही है जो लालू-तेजस्वी बोल रहे हैं. केंद्र की बीजेपी सरकार के फैसले के खिलाफ ही नीतीश प्रतिनिधिमंडल लेकर जा रहे हैं और उसमें बिहार बीजेपी को शामिल होने का न्योता दे दिया. बीजेपी उसमें शामिल न हो तो पिछड़ा विरोधी होने का ठप्पा लगेगा, जो राजद ही नहीं बल्कि नीतीश भी चाहते हैं. बीजेपी प्रतिनिधिमंडल में जाये तो अपनी ही केंद्र सरकार के खिलाफ बोलना पड़ेगा. नीतीश के मास्टर स्ट्रोक से फंसी बीजेपी ने कोरम पूरा करने के लिए अपने एक मंत्री को नीतीश के प्रतिनिधिमंडल में भेजने का फैसला लिया है.
वैसे नीतीश के सबसे खास मंत्री विजय चौधरी ने मीडिया को पबताया कि प्रधानमंत्री से जो प्रतिनिधिमंडल मिलने जाने वाला है उसने बीजेपी भी शामिल है औऱ बीजेपी ने अपने मंत्री जनक राम को भेजने का फैसला लिया है.