PATNA: पिछले 11 महीने से देश भर में विपक्षी एकता कायम कर नरेंद्र मोदी को उखाड़ फेंकने का दावा कर रहे नीतीश कुमार को करारा झटका लगा है. खबर ये आ रही है कि विपक्षी एकता की मुहिम में नीतीश कुमार को किनारे लगा दिया गया है. लिहाजा नीतीश कुमार नाराज हैं. बेंगलुरू में आज विपक्षी एकता की बैठक के बाद नीतीश कुमार मुंह फुला कर वापस लौटे हैं.
बेंगलुरू में विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद जब साझा प्रेस कांफ्रेंस हुआ तो नीतीश कुमार उससे गायब रहे. उस प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि फ्लाइट का टाइम होने के कारण कुछ नेता पहले निकल गये हैं. लेकिन नीतीश कुमार चार्टर प्लेन से बेंगलुरू गये थे. लिहाजा उनके फ्लाइट की कोई टाइमिंग नहीं थी. लेकिन नीतीश कुमार ने अघोषित तौर पर प्रेस कांफ्रेंस का बहिष्कार कर दिया.
मीडिया से बनायी दूरी
पिछले 11 महीनों से कोई ऐसा मौका नहीं आया जब मीडिया ने नीतीश कुमार से विपक्षी एकता पर सवाल पूछा हो और नीतीश ने जवाब नहीं दिया हो. लेकिन नीतीश कुमार आज मीडिया से बचकर निकल गये. बेंगलुरू में मीडिया ने उनसे विपक्षी एकता बैठक पर सवाल पूछा तो वे बगैर पूछे हुए निकल गये. नीतीश जब चार्टर प्लेन पर सवार होकर पटना पहुंचे तो पटना एयरपोर्ट के बाहर मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लगा था. मीडिया वाले नीतीश को रोकते रह गये लेकिन नीतीश कुमार बगैर रूके अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा ले गये.
किनारे कर दिये गये नीतीश
उधर, बेंगलुरू से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक नीतीश इसलिए नाराज हैं क्योंकि विपक्षी एकता की मुहिम का अगुआ बनने की उनकी कोशिश सफल नहीं हुई. विपक्षी एकता की सारी कवायद अब कांग्रेस ने खुद संभाल ली है. कांग्रेस ने ही बैठक में ये प्रस्ताव रखा कि बीजेपी के खिलाफ गठबंधन का नया नाम INDIA रखा जाये. सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार ने इस नाम का विरोध किया. उनका कहना था कि ये NDA से मिलता जुलता नाम है. लेकिन कांग्रेस ही नहीं बल्कि वहां बैठे दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी नीतीश का नोटिस नहीं लिया. लिहाजा नीतीश को चुप हो जाना पड़ा.
सूत्रों के मुताबिक बेंगलुरू की बैठक में उन्हीं एजेंडों पर चर्चा हुई जिन्हें कांग्रेस ने पहले से तय कर रखा था. नीतीश कुमार के पास अपना अलग एजेंडा था, जिसका कोई नोटिस नहीं लिया गया. बैठक में नीतीश कुमार की उपस्थिति वैसे ही थी जैसे उद्धव ठाकरे, महबूबा मुफ्ती, डी. राजा, सीताराम येचुरी जैसे नेताओं की थी. विपक्षी एकता की इस बैठक में कांग्रेस शरद पवार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं को ज्यादा तवज्जो दे रही थी.
नीतीश का सपना टूटा!
जेडीयू के एक वरीय नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि उनलोगों को उम्मीद थी कि विपक्षी एकता की मुहिम में नीतीश कुमार को अहम रोल दिया जायेगा. भले ही उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं बनाया जाता लेकिन कम से कम नये बने गठबंधन का संयोजक बनाने की उम्मीद थी. लेकिन ऐसी कोई चर्चा ही नहीं हुई. बैठक में ये तय किया गया कि विपक्षी एकता की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए 11 नेताओं की एक कमेटी बनायी जायेगी. यही कमेटी आगे के सारे कार्यक्रम और रणनीति तय करेगी. विपक्षी पार्टियों के नेताओं की अगली बैठक मुंबई में होगी, जिसमें इस कमेटी को बनाया जायेगा. यानि साफ हो गया कि नीतीश कुमार को विपक्षी एकता की मुहिम में कोई खास रोल नहीं मिलने वाला है.
चर्चा इस बात की भी है कि नीतीश कुमार के मन में प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब जिंदा है. भले ही वे सार्वजनिक तौर पर ये कहते रहे हों कि मैं प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं हूं लेकिन प्लानिंग अलग थी. नीतीश को लग रहा था कि अगर विपक्षी एकता की मुहिम का संयोजक उन्हें बनाया जाता है तो चुनाव के बाद उनके प्रधानमंत्री बनने का चांस बन सकता है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
बीजेपी ने कसा तंज
उधर, भाजपा ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है. भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बेंगलुरू में सबसे ज्यादा किरकिरी नीतीश कुमार की हुई. वे फर्जी INDIA का संयोजक बनने का ख्वाब पाल कर गये थे लेकिन उन्हें कोई भाव नहीं दिया गया. बेंगलुरू में नीतीश विरोधी पोस्टर भी लगाये गये थे, जबकि वहां सरकार कांग्रेस की है. तभी नीतीश कुमार नाराज होकर प्रेंस कांफ्रेंस में नहीं गये. जिस तरह पटना की बैठक से केजरीवाल नाराज होकर निकल गये थे, उसी तरह से नीतीश कुमार बेंगलुरू से निकल लिये.