DESK : बांग्लादेश में रविवार यानी आज आमचुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं। यहां वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना का चौथी बार पीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है और दावा किया है कि मौजूदा सरकार के तहत कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा।
वहीं, इस चुनाव को लेकर भारत में जो सवाल है वह ये है कि आखिर भारत को क्यों शेख हसीना सरकार की जरूरत है? इसका जवाब साफ़ यह है कि -बांग्लादेश के साथ भारत के अपने हित हैं। करीब 170 मिलियन (17 करोड़) लोगों के मुस्लिम-बहुल देश को भारत लगभग तीनों तरफ से घेरता है। भारत के लिए बांग्लादेश केवल एक पड़ोसी ही नही, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार और करीब सहयोगी है, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों की सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है।
ऐसा भारतीय नीति निर्माताओं का मानना है कि दिल्ली को ढाका में एक मैत्रीपूर्ण शासन जरूरत है और 2009 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से शेख हसीना ने भारत के साथ घनिष्ठ राजनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए हैं। यह मजबूत आर्थिक सहयोग अगरतला-अखौरा रेल लिंक और भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन जैसी साझा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से साफ है, जिसने न केवल व्यापार को बढ़ावा दिया है बल्कि दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में भी सुधार किया है।
वहीं, बांग्लादेश को लेकर जहां तक भारत की चिंता की बात है तो इस पड़ोसी देश में बीएनपी की सत्ता में वापसी इस्लामवादियों की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, जैसा कि उस समय हुआ था जब 2001 और 2006 के बीच गठबंधन सरकार सत्ता में थी। 2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद शेख हसीना को भारत का समर्थन हासिल हुआ था क्योंकि उन्होंने इस्लामी समूहों के साथ-साथ भारत के उत्तर-पूर्व के जातीय विद्रोही समूहों के खिलाफ काम किया, जिनमें से कुछ बांग्लादेश से संचालित हो रहे थे।
उधर, बांग्लादेश में आम चुनाव के पहले हिंसा की खबरें सामने आई हैं। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार शाम और शनिवार तड़के के बीच आम चुनाव से पहले बांग्लादेश के 10 जिलों में कम से कम 14 मतदान केंद्रों और दो स्कूलों में आग लगा दी गई। हालांकि इस हिंसा में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।