RANCHI: कोटा में फंसे झारखंड के छात्रों को वापस लाने की मांग उठने लगी है. बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन से कहा कि छात्रों के परिजनों को परेशानी को समझे. यूपी सरकार ला सकती है तो आप क्यों नहीं ला सकते हैं.
मरांडी ने सीएम हेमंत को लिखा लेटर
मरांडी ने लेटर लिखा है कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन लागू है. इसकी वजह से लाखों की संख्या में झारखंड प्रदेश के लोग देश के विभिन्न हिस्सों में बाहर फंसे हुए हैं. इस फेहरिस्त में राजस्थान प्रदेश के कोटा सहित देश के अन्य जगहों पर अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की भी संख्या हजारों में है. लॉकडाउन के लंबा खींचने की वजह से इनकी परेशानी काफी बढ़ती जा रही है. उत्तरप्रदेश के सीएम ने राजस्थान के सीएम से बात कर कोटा में अध्ययनरत अपने राज्य के छात्र-छात्राओं को वापस ले आने का पुण्य काम किया है. एक ही स्थान पर पठन-पाठन कर रहे बच्चों में से दूसरे राज्य के बच्चों को इस संकट की घड़ी में अपने गृह राज्य वापस जाता देख वहां अध्ययनरत झारखंड के बच्चों और यहां बच्चों की चिंता कर रहे इनके परिजनों के मनोभाव को आसानी से समझा जा सकता है.
कोटा समेत सभी राज्यों से छात्रों को लाए
मरांडी ने कहा कि हमारा आपसे विनम्र अपील होगा कि आप भी अपनी तरफ से आवश्यक पहल कर झारखंड के बच्चों को सिर्फ कोटा से ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी लॉकडाउन के कारण फंसे हुए छात्र-छात्राओं को भी अविलम्ब वापस लाने की दिशा में अविलंब व त्वरित पहल करें. जरूरत हो तो यहां से बड़ी गाडियों के साथ जिम्मेवार अधिकारियों को भी वहां भेजें, जो उन बच्चों को लॉकडाउन का पालन सुनिश्चित कराते हुए सुरक्षित तरीके से ले आयें. बच्चों को लाने में कहीं भी तनिक परेशानी इसलिए नहीं होगी कि अन्य राज्यों के बच्चें सहजता से वहां से अपने राज्य वापस लाए जा रहे हैं और वहां की सरकार ने भी कहा है कि जो राज्य चाहें अपने बच्चों को वापस ले जा सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में अपने राज्य की यह जिम्मेवारी बनती है कि उन बच्चों को कैसे और कितनी जल्दी ले आया जाय.
मजदूरों को मिले राहत
मरांडी ने कहा कि छात्र-छात्राओं के अलावा एक बड़ी संख्या उन लोगों की भी है जो वैल्लोर, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद आदि जगहों पर इलाज के लिए गये थे और लॉकडाउन के कारण वे वहीं फंस चुके हैं. इनमें से कितनों की हालत गंभीर रूप से नाजुक होगी. आपसे से यह भी आग्रह होगा कि इनकी भी सुध लेते हुए इन्हें झारखंड वापस बुलाने की दिशा में पहल प्रारंभ कर देनी चाहिए. साथ ही राज्य से बाहर फंसे लाखों की संख्या में गरीब मजदूरों-श्रमिकों व रोजी-रोटी के लिए कमाने गए लोगों को भी धीरे-धीरे ही सही, परंतु उन्हें भी सुरक्षित तरीके से लॉकडाउन नियमों का पालन कराते हुए कैसे वापस लाया जा सकता है ? इस पर भी विचार किया जाना नितांत आवश्यक है. झारखंड वापस लाने की दिशा में पहल प्रारंभ कर देनी चाहिए. विषय को एक अति गंभीर मुद्दा मानकर इस पर त्वरित कदम उठायेंगे. कोटा सहित अन्य राज्यों के विभिन्न हिस्सों में फंसे छात्र-छात्राओं के अलावा मरीजों, श्रमिकों को भी सर्तकता के तमाम जरूरी का पालन करते हुए उन राज्यों से वापस झारखंड लाकर उनके गंतव्य तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहेंगे. ताकि ये और इनके परिवार परेशानी से बच सकें. यही नहीं, इनके वापस आ जाने से राज्य सरकार को भी कई स्तर पर राहत होगी.