AURANGABAD : औरंगाबाद के प्रसिद्ध सूर्यमंदिर देव में कोरोना महामारी के कारण इस बार छठ पूजा के आयोजन को प्रशासनिक मंजूरी नहीं मिली लेकिन छठ व्रतियों की आस्था का जनसैलाब ऐसा उमड़ा की अब प्रशासन को ना चाहते हुए भी आनन फानन में इंतजाम करना पड़ रहा है। श्रद्धा के सैलाब में सरकारी आदेश और कोविड गाइडलाइन डूब चुका है। अबतक दो लाख से ज्यादा व्रती देव में पहुंच चुके हैं। जबकि 2019 में भी नहाय-खाय के दिन तक इतने श्रद्धालु नहीं पहुंचे थे। श्रद्धालुओं का तांता देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि 2019 का भी रिकॉर्ड इस बार टूट जाएगा।
भारी भीड़ को देखते हुए डीएम सौरभ जोरवाल और एसपी कान्तेश कुमार मिश्रा देव में कैंप कर रहे हैं और तैयारी में पूरी ताकत से जुट गए हैं। मेला के रोक वाली आदेश से श्रद्धालुओं के आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ा अब जब भीड जुटेगी तो उनको कोई अव्यवस्था न हो इसके लिए अन्य व्यवस्था किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय लोगों की माने तो ये व्यवस्था छोटी पड़ जाएगी।
कोविड को देखते हुए जिला प्रशासन ने देव मेला को रद्द कर दिया है। जिसके कारण प्रशासनिक स्तर से व्रतियों को ठहरने के लिए कोई भी टेंट की व्यवस्था नहीं की गई है। बस कुछ धर्मशाला हैं। जिसमें छठ व्रती रुके हुए हैं। जिनकी संख्या मुश्किल से हजार से पांच हजार श्रद्धालुओं को रोकने की है, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में है। छठ व्रती और श्रद्धालु आत्मनिर्भर हैं और खुद सड़क के किनारे और रास्ते में गाड़ी के नीचे अपना टेंट लगाकर रहने की व्यवस्था बना रहे हैं। हालांकि इसपर प्रशासन रोक नहीं लगा रहा। क्योंकि आस्था को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं। इसमें जरा सी लापरवाही प्रशासन को भारी पड़ सकता है। क्योंकि चुनाव में कोविड गाइडलाइन मजाक बन चुका है।