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असम के सीएम हिमंत बिस्वा के विवादित बोल, कहा- मदरसों का अस्तित्व खत्म हो जाना चाहिए

1st Bihar Published by: Updated Mon, 23 May 2022 01:57:39 PM IST

असम के सीएम हिमंत बिस्वा के विवादित बोल, कहा- मदरसों का अस्तित्व खत्म हो जाना चाहिए

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DESK: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मदरसों को लेकर एक विवादित बयान दिया है, 22 मई को दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक कार्यक्रम के दौरान हिमंत बिस्वा ने कहा था कि देश में मदरसों का अस्तित्त्व खत्म हो जाना चाहिए। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के इस विवादित बयान पर सियासत तेज हो गई है।


मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि," भारत में कोई मुसलमान पैदा नहीं हुआ, सभी हिंदू थे, सभी के पूर्वज हिन्दू हैं , इस लिए देश में मदरसों का अस्तित्त्व खत्म हो जाना चाहिए. 'मदरसा' शब्द गायब हो जाना चाहिए. हमें लगता है कि देश का पैसा किसी विशेष धर्म की धार्मिक शिक्षा पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही बिस्वा ने असम के सभी मदरसों को भंग कर सामान्य स्कूलों में बदलने के अपने फैसले को सही बताया और कहा कि जब तक मदरसा शब्द रहेगा, तब तक बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने के बारे में नहीं सोच पाएंगे. ऐसी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए जो छात्रों को भविष्य में कुछ भी करने का विकल्प दे. किसी भी धार्मिक संस्थान में प्रवेश उस उम्र में होना चाहिए जहां बच्चे अपने निर्णय खुद ले सकें.”


खबरों के मुताबिक हैदराबाद मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के एक पूर्व चांसलर ने जब सीएम बिस्वा से कहा कि मदरसों के छात्र बेहद प्रतिभाशाली होते हैं तो इसके जवाब में सरमा ने कहा कि “कोई भी मुस्लिम भारत में पैदा नहीं हुआ था. भारत में हर कोई हिंदू था, इसलिए अगर कोई मुस्लिम बच्चा अत्यंत मेधावी है, तो मैं उसके हिंदू अतीत को इसका क्रेडिट दूंगा.”


कार्यक्रम के दौरान मौके पर मौजूद संधियों ने असम के सीएम बिस्वा की बात सुनकर खूब ताली बजायी. बिस्वा ने ये भी कहा कि " अपने बच्चों को घर पर कुरआन पढ़ाए. स्कूलों में सामान्य शिक्षा होनी चाहिए. बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वैज्ञानिक बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए."


बता दें कि असम ने 2020 में धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी सरकारी मदरसों को भंग करके और उन्हें सामान्य शैक्षणिक संस्थानों में बदलने का फैसला किया था. सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए 2021 में 13 लोगों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसके  बाद मामला अदालत में पेंडिंग है.