आरा में हुई लॉकडाउन में बच्चे की मौत, घरवालों ने कहा- भूख से मरा बच्चा, मांझी ने उठाये सवाल

आरा में हुई लॉकडाउन में बच्चे की मौत, घरवालों ने कहा- भूख से मरा बच्चा, मांझी ने उठाये सवाल

ARA : विश्व में कोरोना वायरस से कोहराम मचा हुआ है. भारत में भी यह आंकड़ा तेजी से फ़ैल रहा है. बिहार सरकार कोरोना को लेकर काफी चिंतित है. कोरोना के चेन को तोड़ने के लिए पीएम मोदी ने देश भर में 21 दिनों के लॉक डाउन का एलान किया है. लॉक डाउन से जुड़ी हुई बिहार के भोजपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसने सबको हैरान कर दिया है. दरअसल आरा में कथित रूप से भूख से मौत होने की खबर से राज्य स्तर पर हड़कंप मच गया है.




पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने उठाये सवाल
मामला भोजपुर जिले के हेडक्वार्टर आरा का है. जहां लॉक डाउन में एक बच्चे की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश की तैयारियों पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को AC के कमरे से बाहर निकलने की बात कही है. मृतक बच्चे के परिजनों की ओर से भूख से मौत की बात कहने को लेकर मांझी ने एक खबर को ट्वीट करते हुए लिखा कि "नीतीश जी आप चाहे लाख बैठके कर लें पर हक़ीक़त आपके रिपोर्ट से कोसों दूर है. कोरोना से कोई मरेगा ये तो नहीं पता पर भूख से गरीब ज़रूर मर रहें हैं. अभी भी अपने अधिकारियों को कहिए कि AC कमरों से बाहर निकलें सूबे के गरीब भूखें हैं."


मां ने कहा- बंदी शुरू होने के बाद खाना नहीं बना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृतक बच्चे की मां सोनामती देवी ने बताया कि "जब से बंदी शुरू हुआ था, तब से घर में खाना नहीं बन रहा था. बच्चे की तबीयत भी खराब थी. जिस दिन से कर्फ्यू शुरू हुआ था, उसी रात उसने थोड़ी रोटी खाई थी. इसके बाद घर में खाना नहीं बनता था. खाना तब न बनाते, जब घर में अनाज होता. दोनों की रोजाना की कमाई 200 से 250 रुपये थी. इसी पैसे से खाने का सामान आता और खाना पकता. कर्फ्यू के कारण काम बंद हुआ, तो दुकानदारों ने उधार सामान देना भी बंद कर दिया हां.



कर्फ्यू के बाद कबाड़ का कमा बंद था
रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे को बुखार था और दस्त भी हुए थे. 26 मार्च को ही उसे सदर अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे एक सिरप और टेबलेट लिखकर दिए. सोनामती देवी ने बताया कि हमारे पास दवाई का भी पैसा नहीं था, तो पड़ोसी से कुछ पैसा उधार लिया और दवाई ले आई. लेकिन, दवा खिलाने से पहले ही उसकी मौत हो गई.’ मृतक बच्चे की बुआ सुनीता देवी ने भी इस बात की तस्दीक की कि कर्फ्यू शुरू होने के बाद से घर में खाना नहीं बन रहा था. खाना तो तब बनता, जब घर में राशन होता. कर्फ्यू के बाद कबाड़ का भी काम बंद था. खाना नहीं मिलने से राकेश बहुत कमजोर हो गया था और उसकी तबीयत तो खराब थी ही."


MLA अनवर आलम ने कहा-
आरा के विधायक अनवर आलम ने कहा कि हम मामले की छानबीन करा रहे हैं. इस तरह की बात सामने आई है. डीएम और एसडीओ को जानकारी दी गई है कि भूख से बच्चे की मौत की खबर सामने आई है. यह आखिर कैसे हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए. जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की जांच होनी चाहिए. क्या वे सही तरीके से आपदा की घड़ी में गरीबों के बीच आनाज बांटे हैं. अगर नहीं दिया , तो वे क्यों नहीं दोषी हैं. इसकी जानकारी आरा के डीएम को दी गई है.


MLA सुदामा प्रसाद ने कहा-
माले विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि कोई यहां सुन नहीं रहा है. तीन दिन से उसके घर में खाना नहीं बना है. डीएम से भी बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि बुखार से मौत हुई है तो कोरोना की जांच क्यों नहीं हुई है. यह कोरोना लूट की तैयारी है. यह कोरोना लूट चल रहा है. लोगों के पास मास्क भी नहीं है. विधायकों ने 50-50 लाख फंड से दिया है. लेकिन कोरोना से मुकाबला नहीं हो रहा है.


डीएस ने कहा- बुखार से मरा फिर भी कोरोना की जांच नहीं कराई गई ?
आरा सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट सतीश कुमार ने बताया कि यह मामला सही है. लेकिन भूख से मौत नहीं हुई है. बुखार और दस्त से बच्चे की मौत हुई है. कोरोना के जांच के सैंपल लिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम नहीं देखे हैं. डॉक्टर देखा है. 26 मार्च की बात है. हम जांच करा रहे हैं कि आखिर बुखार से मौत हुई तो कोरोना का सैंपल क्यों नहीं लिया गया. कोरोना का लक्षण होता तो सैंपल लिया जाना चाहिए था. क्या मामला है अब यह तो अटेंडेंट ही बता सकते हैं. हम अभी पता कर रहे हैं.


डीएम ने कहा- बीमारी से हुई मौत
आरा में हुए इस मौत को लेकर भोजपुर के डीएम रोशन कुशवाहा ने कहा कि बच्चे की मौत बीमारी से हुई है. बहुत दिन से उसकी तबियत ख़राब थी. नगर आयुक्त की टीम को इसकी जांच के लिए भेजा गया था. उसकी तबियत पहले से ही ख़राब चल रही थी. बच्चे की डेड बॉडी का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया अतः. म्युन्सिपल कमिश्नर की टीम ने इसका जांच ऐसे ही किया था. कोई मामला नहीं था. लोकल न्यूज़ में यह खबर भी नहीं छपा था. उन्होंने बताया कि यह मामला पुराना है. यह मामला 4-5 दिन से चल रहा है. यह सही नहीं है. दिल्ली की मीडिया में खबर के प्रकाशन को लेकर उन्होंने कहा कि स्थानीय वार्ड काउंसलर ने ने ही इसे दूसरे तक पहुंचाया था. पोस्टमार्टम नहीं हुआ था. लोकल लोग था. डेड बॉडी डिस्पोज कर दिया.


माले नेता व पार्षद अमित कुमार बंटी ने कहा-
भाकपा माले नेता व  आरा नगर निगम वार्ड पार्षद अमित कुमार बंटी ने कहा कि मृतक बच्चे की मृत्यु भूख से हुई है. जिला प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए सूचना देने के बावजूद भी घटनास्थल पर आना मुनासिब नहीं समझा क्योंकि अगर जिला प्रशासन घटनास्थल पर आता लाश का पोस्टमार्टम होता तो भूख से मौत का मामला सामने आ जाता. आनन-फानन में जिला प्रशासन अपने नामक नाकामी को छुपाने के लिए और उस पर पर्दा डालने के लिए भूख से हुए मौत को छुपाने का काम किया है. हम जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि मृतक के आश्रितों को 10,00,000 मुआवजा, सरकारी नौकरी और मृतक के पूरे परिवार के पास जांच और दवा और 6 महीने के राशन-किरासन जिला प्रशासन अभिलंब मृतक के परिजनों को उपलब्ध कराएं. राशन नहीं देने के दोषी राशन दुकानदार मार्केटिंग ऑफिसर पर उचित कानूनी कार्रवाई किया जाए. जो भी भूख से मौत की जिम्मेदार है. उनकी जांच कर उन पर कानूनी कार्रवाई किया जाए.


स्थानीय वार्ड पार्षद सत्यदेव राम ने कहा-
स्थानीय वार्ड पार्षद सत्यदेव राम ने मीडिया को बताया कि "बच्चे की मौत की जानकारी जिले के डीएम और स्थानीय एसडीओ को भी दी गई, लेकिन उनकी तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. 26 की रात जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तो नवादा थाने के पुलिस कर्मचारी आए और जल्दी से शव का अंतिम संस्कार कर देने को कहा."