आनंद मोहन की रिहाई मामले में बढ़ सकती है सरकार की मुश्किल: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नोटिस भेजकर पूछा.. किस आधार पर कानून बदला?

1st Bihar Published by: VISHWAJIT ANAND Updated Fri, 19 May 2023 04:00:54 PM IST

आनंद मोहन की रिहाई मामले में बढ़ सकती है सरकार की मुश्किल: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नोटिस भेजकर पूछा.. किस आधार पर कानून बदला?

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PATNA: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मामले में बिहार सरकार घिरती नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के बाद अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नीतीश सरकार को नोटिस भेजा है और पूछा है किआखिरकार किस आधार पर कानून में बदलाव कर हत्या के दोषी को जेल से छोड़ा गया है।


दरअसल, गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व सांसद आनंद मोहन की पिछले दिनों जेल से रिहाई हो गई थी। बिहार सरकार ने कानून में संशोधन करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया था। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार में खूब सियासत हुई। देश के कई आईएएस एसोसिएशन ने रिहाई का विरोध किया था। वहीं जी.कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर चुकी है।


अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मामले में संज्ञान लिया है। आयोग ने बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर किस आधार पर कानून में बदलाव कर आनंद मोहन को रिहा किया गया। आयोग के अध्यक्ष विजय सांप्ला ने बताया कि इस मामले में आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा है और पूछा गया है कि आख़िर सरकार ने किस तरह के बदलाव किए और किस आधार पर बदलाव किया है। इसकी पूरी जानकारी मांगी गई है लेकिन सरकार ने इसका अभी तक जबाब नहीं दिया है।


उन्होंने कहा कि आयोग की टीम जल्द ही स्पॉट विजिट करेगी और मामले की गहन छानबीन करेगी। उन्होंने कहा कि बिहार भारत का दूसरा राज्य है जहां अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या सबसे अधिक हो रही है, जो बहुत ही चिंता का विषय है। बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई के मामले में बिहार की सरकार घिरती दिख रही है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में उमा कृष्णैया की याचिका पर फिर से सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान बिहार सरकार कोर्ट के समक्ष जवाब देने में विफल साबित हुई। अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने सरकार को नोटिस जारी कर उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।