सनातन धर्म में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है, जो भगवान गणेश की पूजा का दिन है। इस दिन भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनके निमित्त व्रत रखते हैं। इसे मनोवांछित फल की प्राप्ति का दिन माना जाता है और यह व्रत साधक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के साथ-साथ सुख और सौभाग्य में वृद्धि करता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से आर्थिक तंगी भी दूर होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
इस दिन विशेष इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जो अत्यधिक मंगलकारी माना जाता है। इस योग के साथ कई अन्य शुभ और संतुलित योग भी बन रहे हैं, जो जीवन को समृद्ध बनाने में सहायक होते हैं।
महत्वपूर्ण योग और शुभ मुहूर्त
इंद्र योग:
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जो विशेष रूप से मंगलकारी माना जाता है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। यह योग संध्याकाल 07 बजकर 34 मिनट तक रहेगा, इस समय में गणेश पूजा विशेष रूप से लाभकारी रहेगी।
शिववास योग:
इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है, जो सुबह 10 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ हो रहा है। इस समय भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे, और इस दौरान उनकी पूजा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। भगवान शिव की कृपा से जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
नक्षत्र और करण
पुष्य नक्षत्र का संयोग इस दिन बन रहा है, जो अत्यंत शुभ होता है। इसके साथ ही बव और बालव करण का योग भी बन रहा है, जो विशेष रूप से सुख और सौभाग्य में वृद्धि करने वाला है। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो सकते हैं।
पंचांग और शुभ समय
सूर्योदय: सुबह 07 बजकर 08 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 28 मिनट पर
चंद्रोदय: शाम 08 बजकर 27 मिनट पर
चंद्रास्त: सुबह 09 बजकर 52 मिनट पर
शुभ समय (Muhurat):
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 14 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है और इस दिन बनने वाले योग आपके जीवन में समृद्धि और सुख लाने में सहायक होंगे। इस दिन पूजा-अर्चना से धन, सौभाग्य, और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है। इस अवसर पर किए गए अच्छे कर्म जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।