वतन और माता-पिता की इज्जत करना जरूरी है, एडवांटेज डायलॉग में बोले मनोज मुंतशिर

वतन और माता-पिता की इज्जत करना जरूरी है, एडवांटेज डायलॉग में बोले मनोज मुंतशिर

PATNA : बाॅलीवुड के गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला गुरूवार की शाम को एडवांटेज डायलाॅग में शामिल हुये. इस दौरान मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा कि जिसने अपने वतन उसके मिट्टी तथा अपने माता-पिता की इज्जत की खुदा उसके साथ हमेशा रहता है.मां का प्यार अन्य के प्यार से 9 महीने बड़ा होता है. जो अपने बच्चों की हिफाजत बड़ी शिद्दत से करती है. लोगों से मुखातिब होते हुए उन्होंने पहले इश्क फरमाते कि उन्होंने कहा कि बिहार के ही महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने कहा है पृथ्वी धुरी पर घूमती है और मैं कह रहा हूं कि जिंदगी की धुरी इश्क घूमती है और इश्क के बिना वह अधूरी है.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन  के दौरान ले अपनी किताब 'मेरी फितरत है मस्ताना' पार्ट-2 लिख रहे हैं. जिसके चंद लाइने इस प्रकार है-

 मेरा प्यार तुम आज ठुकरा रही हो मगर तुम मुझे यूं भुला न पाओगी ,मेरा जिक्र अगर कोई छेड़ देगा तो आंखों का पानी छुपा ना सकोगी..
 अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं है, अभी रोक लो तो ठहर जाऊंगा मैं. कहां ढूंढगी फिर कहां फिर मिलूंगा, अगर वक्त बनकर गुजर जाऊंगा मैं. मेरे बिना तुम हो कितनी अकेली बताना भी चाहो बता ना सकोगी. मेरा प्यार तुम आज ठुकरा रही हो, मगर तुम मुझे यूं भुला ना सकोगी. सवारों की खुद को बड़ी कोशिशों से, मगर इश्क का क्या करोगी. यह पागल सा लड़का जहां याद आया, वही बेवजह रो पड़ोगी. जिसे चूमती थी हजारों दफा तुम, वह तस्वीर मेरी जला ना सकोगी. अभी सुन रहा हूं जो कहना है कह दो, फिर आवाज देकर बुला ना सकोगी. मेरा प्यारे तुम आज ठुकरा रही हो, मगर मुझे तुम मुझे यूं भुला ना सकोगी. मेरा जिक्र कोई अगर छेड़ देगा, तो आंखों का पानी छुपा ना सकोगी.

उन्होंने कहा कि हिंदी उर्दू खूबसूरत  जुबान है. बिना उर्दू के हिंदी की कल्पना नहीं की जा सकती. बिना इश्क के कविता की रचना नहीं की जा सकती. उत्तर प्रदेश के अमेठी गौरीगंज के रहने वाले मनोज मुंतशिर ने कहा कि छोटे शहर के रहने वालों में टैलेंट अधिक होती है. 17 साल की उम्र में उन्होंने पहला मुशायरा किया था जिसमें उस जमाने के बड़े बड़े शायर आए थे. इलाहाबाद जाने के क्रम में रेलगाड़ी प्रतापगढ़ स्टेशन पर खराब हो गई. पॉकेट में 18 रुपये थे. रेलवे स्टेशन पर शाहिर लुधियानवी की लिखी किताब शाहिर लुधियानवी की तल्खियां खरीदी और इलाहाबाद पहुंचने तक पूरी किताब पढ़ डाली और मन में सोचा कि मुझे मुंबई चलना चाहिए क्योंकि मुझ में मुंबई जाने की योग्यता हो गई है.

इस दौरान उन्होंन बात करते हुए कहा कि  बिहारी मिट्टी ने बड़े-बड़े लोगों को तैयार किया है. मां जानकी, कौटिल्य, आर्यभट्ट जैसे इनके लाल हुए हैं. बिहार का स्थान दुनिया तक पहुंच चुका है. मनोज मुंतशिर ने  21 मई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एडवांटेज डायलॉग के मेगा शो के 18 में एपिसोड में ये  बातें कहीं. बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके लिखे नज़्म मैं फिर भी तुमको चाहूंगा  को फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड में गाना बना दिया गया, जिसे कंपोज किया था मिथुन ने जबकि आवाज दी थी अर्जित सिंह ने. ये नज्म  उन्होंने शादी के बाद अकेले कश्मीर यात्रा के दौरान लिखे थे

कोरोना संकट के इस काल को लेकर मनोज मुंतशिर ने कहा कि  मुश्किलों का दौर खत्म होगा. मानव को कोरोना नहीं तोड़ सकता. आप लड़ेंगे आप जीतेंगे. लोग कहते हैं तुम्हारे इंडिया में सुविधा नहीं है, तुमसे नहीं हो पाएगा. एक फकीर ने इंग्लैंड से आकर भारत को आजादी दिला दी. 70 साल पहले सुई ही बनाते थे आज रॉकेट बना रहे हैं. पैरों में कांटा चुभ जाने पर क्या लोग चलना भूल जाते हैं. हम से तुम दोबारा नहीं कहना कि तुमसे नहीं हो पाएगा. उनके कहने का तात्पर्य है कि हम कोरोना को हराकर फिर से अपने रास्ते पर चल पड़ेंगे.

वहीं एडवांटेज ग्रुप के संस्थापक और सीईओ खुर्शीद अहमद ने कहा कि ईद के मौके पर उर्दू के अदब और तहजीब को देखते हुए 30 और 31 मई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होने वाला इंटरनेशनल मुशायरा एडवांटेज लिटरेरी फेस्टिवल का चौथा एपिसोड होगा. जिसमें लखनऊ के मुनव्वर राणा, दिल्ली के सबीना अदीब, अमेरिका के फरहत शहजाद और आबू धाबी से सैयद आसिफ, दिल्ली से शारीक कैफी, भोपाल से नुसरत मेंहदी भाग लेंगी. यह कार्यक्रम भी जूम पर होगा और इसे देखने के लिए लोगों को [email protected] पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके लिए 500 रुपये डोनेशन देने होंगे. जो जनहित के कार्य में खर्च किए जाएंगे.