नगर सरकार यानी नगर परिषद और नगर पालिका पर बिहार सरकार ने बड़ा शिकंगा कसा है। सरकार ने अब पार्षदों की मनमानी पर रोक लगाएगी। इसके लिए बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2024 विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया गया और इसे पास भी कर दिया गया है। इसमें नगर पालिका के नियमों में संशोधन किए गए हैं।
इसमें मुख्य रूप में यह कहा गया है कि पहले जो पार्षद के पास दो साल में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का अधिकार था अब उनके पास यह अधिकार नहीं होगा। मतलब अब मुख्य पार्षद (मेयर ) या उपमुख्य पार्षद ( डिप्टी मेयर) अपना कार्यकाल ( 5 साल ) पूरा करेंगे। मतलब, पार्षद की तरफ से दो साल में नगर परिषद में पेश किया जाने वाला अविश्वास प्रस्ताव। नए संशोधन में इस प्रक्रिया को सरकार पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। नए संशोधन में अविश्वास प्रस्ताव संबंधी प्रावधानों को विलोपित कर दिया जाएगा।
वहीं इसे समाप्त करने के पीछे सरकार का तर्क है कि पार्षदों के पास ये अधिकार रहने से निर्वाचित पार्षदों के बीच गुटबाजी और अनुचित दबाव बढ़ता है। इसके कारण नगरपालिका के विकास कार्य प्रभावित होते हैं। दरअसल, बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 में मुख्य पार्षद / उप मुख्य पार्षद का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से करने का प्रावधान है। लेकिन, वार्ड पार्षदों की तरफ से इनके खिलाफ दो वर्षों के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार है। इसका राज्य के कई जिलों में गलत इस्तेमाल भी हो रहा है। लिहाजा अब उसे विलोपित कर दिया गया है।
इसके साथ ही सरकार की तरफ से नगरपालिका के उन अधिकारों को भी कम करने का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत पार्षद सरकार के नियम का विरोध करते हैं। इसके खिलाफ प्रस्ताव लाते हैं। प्रस्तावित बिल में सरकार के नियम के खिलाफ प्रस्ताव पर मुख्य पार्षद और पीठासीन पदाधिकारी की तरफ से भी विचार नहीं किया जाएगा। अगर इस तरह का प्रस्ताव आता भी है तो इसे नगरपालिका पदाधिकारी की तरफ से विचार के लिए सरकार को भेजा जाएगा।