गयाजी में 21 से 23 जून तक माता ललिता महायज्ञ का आयोजन, देश भर से श्रद्धालुओं का होगा आगमन VIDEO VIRAL: बाप बड़ा ना भईया सबसे बड़ा रूपया: पैसों को लेकर छपरा में जमकर मारपीट, महिला और बुजुर्गों को भी नहीं छोड़ा GOPALGANJ: 8 साल के बच्चे की अपहरण के बाद हत्या, दो आरोपियों को पुलिस ने दबोचा मधुबनी में बाइक चोर गिरोह का खुलासा: चोरी की 9 बाइक के साथ 3 गिरफ्तार घर की सफाई के दौरान महिला को जहरीले सांप ने काटा, डिब्बा में बंदकर सांप को अस्पताल ले गये परिजन, कहा..डॉक्टर साहब इसी ने डसा है गोपालगंज में 8 साल के बच्चे की मिली लाश, घर से कई दिनों से था लापता बिगड़ती कानून-व्यवस्था के सवाल पर लालू पर PK ने कसा तंज, कहा..लालू जी का अपराध पर बात करना, जंगल में शेर के शाकाहारी होने की बात करने जैसा है ARRAH: बिहार की बेटियों के लिए मेहंदी शिविर का आयोजन, अजय सिंह ने किया सम्मानित पटना में भीषण अगलगी की घटना, बिजली के तार के बंडल में आग लगने से मची अफरा-तफरी नीतीश सरकार की लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाकर हंसी के पात्र बन रहे लालू यादव, JDU का राजद सुप्रीमो पर जबरदस्त पलटवार
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 21 Nov 2023 07:53:38 AM IST
- फ़ोटो
PATNA : पुलिस डाक पहुंचाने की जिम्मेदारी अब सिपाहियों की जगह डाककर्मियों को दे दी गई है। इसको लेकर बिहार पुलिस और केंद्रीय डाक विभाग के बीच एक करार हो चुका है। इसके बाद अब आज यानी मंगलवार से डाकिये पुलिस डाक को पहुंचाने का काम शुरू कर देंगे। हालांकि,इस व्यवस्था की ट्रैकिंग भी की जाएगी ताकि किसी तरह की चूक न हो।
मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस डाक की ट्रैकिंग के लिए पोस्टल मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। इन्हें कार्यालय में बैठकर ही डाक विभाग के पदाधिकारी देख सकेंगे। पुलिस डाक जिस स्तर पर रुकेगा, वहां तुरंत उसकी पहचान की जा सकेगी। इसके साथ ही, समय से उसे संबंधित कार्यालय अथवा पदाधिकारी तक पहुंचाया जा सकेगा।
मालूम हो कि, बिहार में करीब सात हजार डाकघर हैं। इनमें से 1066 डाकघरों को स्थानीय थानों से जोड़कर मैपिंग की गई है। थानों से निकलने वाले पुलिस डाक को स्थानीय डाकघर द्वारा संबंधित कार्यालय के लिए रवाना किया जाएगा। दूसरी ओर अन्य पुलिस पदाधिकारियों के कार्यालय से थानों तक पहुंचने वाले डाक की डिलीवरी सुनिश्चित कराई जाएगी।
आपको बताते चलें कि,अभी तक डाकों का वितरण पुलिस सिपाहियों के द्वारा होता था जिस पर हर वर्ष करीब 60 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसमें एक हजार सिपाही बल भी लगता है। इसके अलावा सिपाहियों को भत्ता आदि का भी भुगतान करना होता है। नई व्यवस्था के बाद यह खर्च घटकर 75 लाख तक आ जाएगा। इससे बिहार पुलिस को करीब 59 करोड़ रुपये की बचत भी होगी।