PATNA: अपनी डीजी की बदसलूकी के खिलाफ आवाज उठा कर सजा पाने वाले चर्चित आईपीएस अधिकारी विकास वैभव को आखिरकार राज्य सरकार ने काम दे दिया है. चार महीने पहले उन्हें पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया था और उन्हें वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया था. आज सरकार ने उन्हें ऐसी जगह भेजा है, जहां पिछले 12 साल से कोई काम ही नहीं दिखा.
राज्य सरकार ने आज विकास वैभव के पोस्टिंग की अधिसूचना निकाली है. इसके मुताबिक बिहार पुलिस मुख्यालय में पदस्थापना की प्रतीक्षा कर रहे विकास वैभव को अगले आदेश तक बिहार राज्य योजना पर्षद में परामर्शी के पद पर पदस्थापित किया गया है.
योजना पर्षद में क्या करेंगे विकास वैभव
पहले समझिये कि योजना पर्षद क्या है. 2006 में नीतीश कुमार ने इसे बनाया था. इसका काम था योजनाओं के निर्माण और निगरानी पर सलाह देना. 10 वर्षीय योजनाओं का निर्माण करना. सरकार के लिए नीति तैयार करना. बिहार सरकार की इस संस्था का अपना वेबसाइट भी है. यहां देखने पर पता चलेगा कि आखिरी बार साल 2011-12 में बिहार राज्य योजना पर्षद ने कोई योजना तैयार किया था. उसके बाद उसका कोई काम आपको नहीं मिलेगा.
जिस पर आरोप लगाया उसी के पति के साथ तैनाती
दिलचस्प बात ये भी है कि सरकार ने इसी योजना पर्षद में बहुचर्चित आईएएस अधिकारी सीके अनिल को भी परामर्शी बना रखा है. सीके अनिल की पत्नी शोभा अहोटकर हैं, जो होमगार्ड और फायर ब्रिगेड की डीजी हैं. शोभा अहोटकर के अधीन ही विकास वैभव तैनात थे और उन्होंने अहोटकर पर ही ये आरोप लगाया था कि वे गाली-गलौज और बदसलूकी करती हैं. विकास वैभव ने बकायदा सरकार को पत्र लिखकर शोभा अहोटकर को लेकर सारी जानकारी दी थी.
वैसे सीके अनिल बहुचर्चित अधिकारी रहे हैं. उन्हें बिहार के एसएससी पर्चा लीक में पुलिस ने फरार करार दिया था. वे लंबे अर्से तक गायब रहे थे. उसी दौरान सीके अनिल ने पत्र लिख कर कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके प्रधान सचिव चंचल कुमार के इशारे पर उन्हें फंसाने की साजिश हुई है. सीएम के इशारे पर ही बिहार पुलिस की एसआईटी SSC पर्चा लीक मामले में उन्हें फंसा रही है.
हालांकि सवाल ये भी है कि उग्रवादियों औऱ आतंकियों से लड़ने के एक्सपर्ट माने जाने वाले विकास वैभव योजना पर्षद में क्या परामर्श देंगे. बता दें कि विकास वैभव लंबे समय तक केंद्र सरकार की एजेंसी NIA में तैनात रहे हैं जो देश भर में आतंकियों के मामलों की जांच औऱ कार्रवाई करती है. वहां उन्होंने कई जटिल मामलों का उदभेदन किया. वहीं, बिहार के जिलों मेँ अपनी पोस्टिंग के दौरान भी विकास वैभव के नाम कई उपलब्धियां हैं. नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले रोहतास जिले से उन्होंने उग्रवादियों का सफाया कर दिया था. पटना समेत कई दूसरे जिलों में अपराधियों पर लगाम कस दी थी. सरकार ने शायद ये ट्रैक रिकार्ड देखकर ही उनकी पोस्टिंग की है.