PATNA : बिहार की राजनीति में चित-पट का खेल काफी पुराना है। यहां जिस नेता जी को थोड़ा अधिक तबज्जों मिल जाता है वह फिर अपने ख़ास को अपने अलग-बगल रखने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। नेता जी भी यह बात जानते हैं कि एक बार यदि वह सेट हो गए तो फिर अपने करीबियों को तो अलग -बगल बैठा ही लेंगे। इससे नेता जी को फायदा यह मिलता है कि उनके अंदरखाने की बात अंदर ही रह जाती है और उनका पार्टी के अंदर एक नया इमेज तैयार होते रहता है और इसी चीज़ को आगे भुना कर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में लगे रहते हैं। ऐसे में अब कहानी बिहार के एक बड़े राजनीतिक पार्टी से जुड़ीं हैं।
दरअसल, बिहार की एक बड़ी राजनीतिक पार्टी में बाहर से लाए हुए एक नेता जी को अच्छी खासी ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है। उनका एक ऐसा इमेज तैयार किया गया कि लोगों को लगे कि यह नेता जी बड़े कड़क मियाज के हैं और पार्टी का जो एजेंडा रहा है उसपर सटीक फ़ीट आते हैं। लिहाजा इनको थोड़ा संघर्ष के बाद फायदा भी मिला। यह नेता जी दिल्ली में बैठे एक बड़े नेता के ख़ास हो गए और फिर इसका फायदा यह हुआ कि बिहार में यह खुद की पार्टी के लिए 'बॉस' हो गए। अब इनके ही निर्देश पर पार्टी में काम होना शुरू शुरू हो गया।
इसके बाद नेता जी ने पहले तो अपने लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म तैयार किया और इसको लेकर नेता जी ने पार्टी के मातृ संगठन के लोगों से भी काफी मदद लिया और हाथ जोड़ निवेदन स्वरूप उनसे सहज लहजे में बातचीत शुरू हुई। इससे नेता जी को फायदा यह पंहुचा कि इनका फीडबैक दिल्ली में अच्छा जाने लगा। उसके बाद नेता जी को लगा की अब सबकुछ सेट हैं और इन्होंने एक कमिटी तैयार किया और इसमें गिन-गिन कर अपने ख़ास लोगों को शामिल करवाया ताकि उनके जरिए भी थोड़ा पद और रुतबा का लाभ हासिल किया जाए।
वहीं, इसके बाद नेता जी के लिए मीड टर्म एग्जाम शुरू हुआ। इस एग्जाम में नेता जी ने कोई बहुत अच्छा मार्क्स नहीं हासिल किया था। लेकिन पार्टी के मातृ संगठन के कहे जाने पर इनको मौका दिया गया और सख्त संदेश के साथ कहा गया कि आप जो कर रहे हैं वह उचित नहीं। लेकिन, नेता जी तो नेता जी ठहरे उनको लगा कि यह आई -गई बात हो गई। जबकि यहां से नेता जी का सुपरविजन होना शुरू हो गया।
अब नेता जी की असली परीक्षा तब शुरू हुआ जब देश के अंदर सबसे परीक्षा हुई। इस परीक्षा में नेता जी को जिस सब्जेट में सबसे अधिक मेहनत करना था उसी में नेता जी फेल हो गए। उसके बाद नेता जी को पद से हटा दिया गया। लेकिन राहत इस बात था कि इनके करीब जो इनके तरफ से तैयार कमिटी में थे वह अभी भी काम कर रहे हैं। लिहाजा, अब खबर यह है कि इनको भी हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। छठ पूजा के बाद नेता जी के यह करीबी भी कमिटी से शायद बाहर हो सकते हैं। ऐसे में नेता जी वर्तमान में जिस दायित्व पर हैं उसी पर ध्यान देना होगा।
इधर, पगड़ी वाले नेता जी के पद से हटने के बाद जो दूसरे नेता जी इस पद पर आए। यह पहले से संगठन के काम कर चुके थे और उन्हें यह अच्छी तरह से मालूम था कि किनको कितना महत्त्व देना है और फिर पार्टी और संगठन को किस तरह से लेकर चलना है ताकि पार्टी की बात बाहर भी न जा सके और पार्टी के अंदर वह जिन बातों पर अंकुश लगाना चाहते हैं वह भी होता रहे।
लेकिन, समस्या यह आ रही थी कि पुरानी कमिटी को भंग कर नया कमिटी अचनाक से कैसे तैयार किया जाए। क्यूंकि इस कमिटी को जिन नेता जी ने तैयार किया है उनकी धाक अभी भी पूरी तरह से कम हुई नहीं है। इसलिए कोई एक ठोस तरीका तलाशना था ताकि पार्टी के अंदर कोई गलत संदेश नहीं जा सके। ऐसे में अब उन्हें यह मौका इस तरीके से मिला कि उनकी पार्टी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और इससे पहले हर राज्य में बूथ अध्यक्ष मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष के चुनाव होता है। अब इसके बाद नेता जी आसानी से अपनी कमिटी बना लेंगे। लिहाजा, न चाहते हुए भी पगड़ी वाले नेता जी को बैकफुट पर आना होगा और पद जाने के बाद अब उनके करीबियों की बारी आनी तय है।