आइय़े न इस गांव में…शराब, हेरोइन, महुआ सब पाइये: बिहार के एक गांव के बाहर लगाया गया बैनर, नीतीश की नाकामी पर लोगों का आक्रोश

आइय़े न इस गांव में…शराब, हेरोइन, महुआ सब पाइये: बिहार के एक गांव के बाहर लगाया गया बैनर, नीतीश की नाकामी पर लोगों का आक्रोश

ROHTAS: बिहार के एक गांव के बाहर एक बड़ा बैनर लगा दिया गया है. धर्मागतपुर नाम के इस गांव के बाहर लगे बैनर को खुद उसी गांव के लोगों ने लगवाया है. बैनर पर मोटे अक्षरों में लिखा है- “धर्मागतपुर गांव में आपका स्वागत है! आइए शराब, हेरोइन, महुआ सब पाइए. बिहार में शराबबंदी है, लेकिन धर्मागतपुर में खुला है!. सौजन्य से बेशर्म उत्पाद विभाग, सूर्यपुरा थाना एवं जिला प्रशासन रोहतास. निवेदक: लाचार बेबस समस्त ग्रामीण जनता."


रोहतास जिले की कहानी

धर्मागतपुर नाम का ये गांव बिहार के रोहतास जिले के सूर्यपुरा थाना क्षेत्र में है. गांव में देशी-विदेशी शराब के साथ साथ चरस और हेरोइन जैसे ड्रग्स की खुलेआम बिक्री पर अब लोगों के सब्र का बांध टूट गया है. दरअसल ये गांव शराब औऱ ड्रग्स की बिक्री का बड़ा अड्डा बन गया है. ग्रामीणों ने पहले सरकारी अधिकारियों से लगातार गुहार लगायी लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. लिहाजा अब ग्रामीणों ने गांव को नशामुक्त बनाने का जिम्मा खुद संभाल लिया है. इसी के तहत गांव के बाहर बैनर लगाया गया है ताकि सरकारी तंत्र को शर्म आये. 


ड्रग्स का सेंटर बन गया है धर्मागतपुर

धर्मागतपुर गांव के ग्रामीण बताते हैं कि ड्रग्स कारोबारियों ने इस गांव को अपना सेंटर बना लिया है. हाल ये है कि चरस, अफीम और हेरोइन खरीदने के लिए यहां आस-पास के जिलों से नशेड़ी पहुंच रहे हैं. हर दिन रोहतास जिले के नोनहर, सूर्यपुरा, नटवार और बिक्रमगंज के साथ साथ पड़ोस के औरंगाबाद जिले से भी नेशड़ियों की भीड़ यहां जुटती है. ग्रामीण बता रहे है कि हर रोज यहां कम से कम पांच लाख रूपये का ड्रग्स का कारोबार होता है. अहले सुबह से शाम तक कार, बाइक और ऑटो से नेशेड़ी यहां पहुंचते हैं. उनमें से कई अच्छे घरों के युवा भी होते हैं. ग्रामीणों ने शुरू में ड्रग्स की बिक्री का विरोध किया लेकिन नशेड़ियों और ड्रग्स बेचने वालों ने उन पर हमला कर दिया. ऐसे में ग्रामीणों से डर कर विरोध करना छोड़ दिया.


8 साल से बिक रहा है ड्रग्स

धर्मागतपुर के ही एक व्यक्ति ने बताया कि करीब आठ साल पहले गांव का एक लड़का हीरोइन के साथ पकड़ा गया था. पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था. तब कुछ दिनों के लिए हेरोइन की बिक्री बंद हो गई थी. लेकिन पिछले कई सालों से जमकर ड्रग्स बेचा जा रहा है. गांव के पांच-छह घरों से खुलेआम हेरोईन ही नहीं बल्कि चरस अफीम बेचा जा रहा है. उनका नाम हर कोई जानता है लेकिन विरोध करने पर अंजाम भुगतने का डर है.


ग्रामीणों ने खुद संभाला मोर्चा

धर्मागतपुर के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में शराब और ड्रग्स की बिक्री को लेकर उन्होंने पुलिस और उत्पाद विभाग को कई बार शिकायत की. दूसरे अधिकारियों को भी सूचित किया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. पुलिस कभी कभी दिखावे की कार्रवाई करती है. पिछले शुक्रवार को पुलिस गांव में आयी , एक घर में छापेमारी कर छोड़ी सी देसी शराब बरामद किया. उसे नष्ट करने का कोरम पूरा किया और फिर निकल गयी. गांव के लोगों ने अब एक कमेटी बनायी है जो ड्रग्स और शराब की बिक्री का विरोध करेगी. ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस शराब ढूंढ़ने का दिखावा करती है लेकिन हेरोइन और दूसरे ड्रग्स पर नजर भी नहीं डालती. इसका परिणाम है कि ये गांव हेरोइन बिक्री का सेंटर बन गया है.