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96 डिग्री कॉलेज के खिलाफ केस करेगी सरकार, अनुदान के पैसे का नहीं दे रहे हिसाब

1st Bihar Published by: Updated Wed, 21 Jul 2021 11:19:20 AM IST

96 डिग्री कॉलेज के खिलाफ केस करेगी सरकार, अनुदान के पैसे का नहीं दे रहे हिसाब

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PATNA : शिक्षा विभाग में बड़ी गड़बड़ी की आशंका को लेकर राज्य सरकार के कान खड़े हो गए हैं. प्रदेश में सरकार से संबद्ध डिग्री कॉलेजों को सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है. सरकार की तरफ से डिग्री कॉलेजों को मिलने वाले अनुदान का हिसाब भी लिया जाता है. लेकिन सैकड़ों ऐसे डिग्री कॉलेज है जिन्होंने सरकार की तरफ से मिले अनुदान का कोई हिसाब किताब नहीं दिया है. 8 विश्वविद्यालयों के 122 डिग्री कॉलेजों ने बीते 3 साल से करोड़ों रुपए की राशि का कोई हिसाब नहीं दिया है. इन डिग्री कॉलेजों को लगभग 249 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है. लेकिन अब तक सरकार को कोई हिसाब नहीं मिला है. 


मजे की बात यह है कि इनमें से अधिकांश डिग्री कॉलेज किसी न किसी राजनेता या उनके रिश्तेदारों से संबंध रखते हैं. शिक्षा विभाग की तरफ से संबंधित कॉलेजों को कई बार दिशा निर्देश जारी किया गया. कई आदेश जारी करते हुए कहा गया कि वह अनुदान को लेकर उपयोगिता प्रमाण पत्र मुहैया कराए. लेकिन अब तक इन कॉलेजों की तरफ से उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. 



हालांकि 122 में से 26 डिग्री कॉलेज ऐसे हैं जिन्होंने अनुदान का हिसाब देने के लिए सरकार से समय मांगा है. लेकिन शिक्षा विभाग को कुल 96 कॉलेजों की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है. शिक्षा विभाग को आशंका है कि इन कॉलेजों में वित्तीय गड़बड़ी हो सकती है. लिहाजा सरकार ने आदेश जारी करते हुए इन कॉलेजों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. 


डिग्री कॉलेजों की तरफ से पैसे का हिसाब नहीं दिए जाने के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी कुलपतियों को आदेश दिया है कि वह इस मामले को गंभीरता से लें और तत्काल डिग्री कॉलेजों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएं. मगध विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिश्रा मिथिला विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय और बिहार विश्वविद्यालय के कुलपतियों की लापरवाही भी इस मामले में सामने आई है. शिक्षा विभाग की तरफ से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 122 डिग्री कॉलेजों को अनुदान के रूप में 249 करोड़ रुपए दिए गए थे जिनका कोई हिसाब-किताब अब तक नहीं मिल पाया है.