4 साल पहले नाबालिग से रेप करने वाले DSP पर अब कार्रवाई की कवायद: सस्पेंड करने की हुई अनुशंसा

4 साल पहले नाबालिग से रेप करने वाले DSP पर अब कार्रवाई की कवायद: सस्पेंड करने की हुई अनुशंसा

PATNA : 4 साल पहले एक दलित एक नाबालिग लड़की के साथ रेप के आरोपी डीएसपी कमलकांत प्रसाद को लेकर जब नीतीश सरकार की फजीहत हो गयी तो कार्रवाई की कवायद हुई है. गंभीर आरोपों के बावजूद मलाईदार जगहों पर तैनात रहने वाले डीएसपी कमलकांत प्रसाद को सस्पेंड करने की अनुशंसा की गयी है. राज्य पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को पत्र लिख कर डीएसपी कमलकांत प्रसाद को सस्पेंड करने की सिफारिश की है. रेप के आऱोपी डीएसपी को लेकर तेजस्वी यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला था. तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश कुमार के जिला-जाति और भ्रष्टाचार के एजेंडे को ये डीएसपी अंजाम दे रहा था लिहाजा उसके खिलाफ ऐसे संगीन आरोप होने के बावजूद कार्रवाई करने के बजाय मलाईदार जगह पर पोस्टिंग करके रखा गया. 


पुलिस मुख्यालय ने की अनुशंसा
बिहार पुलिस के आईजी (हेडक्वार्टर) ने गृह विभाग के सचिव जीतेंद्र कुमार श्रीवास्तव को पत्र भेजा है. पत्र में लिखा गया है कि सीनियर डीएसपी कमलकांत प्रसाद के खिलाफ गया के महिला थाना में रेप का मुकदमा दर्ज किया गया है. कमलकांत प्रसाद पर गया के पुलिस उपाधीक्षक पद पर तैनात रहने के दौरान अपने सरकारी आवास में एक दलित नाबालिग लड़की के साथ रेप करने का आरोप है. उनके खिलाफ गया महिला थाना में रेप के साथ साथ पॉक्सो एक्ट औऱ दलित उत्पीड़न अधिनियम के तहत केस दर्ज है. 


पुलिस मुख्यालय के पत्र के मुताबिक पीडित लडकी ने कोर्ट में धारा 164 के तहत दिये गये बयान में कोर्ट को ये बताया है कि कमलकांत प्रसाद ने अपने सरकारी आवास में उसके साथ रेप किया था. पुलिस मुख्यालय ये कह रहा है कि कमलकांत प्रसाद व्याभिचारी प्रवृति औऱ नैतिक पतन के प्रतीक हैं. लिहाजा उनका पुलिस के जिम्मेवार पद पर बने रहना है अनुचित है. इसलिए पुलिस मुख्यालय कमलकांत प्रसाद को सस्पेंड करने की अनुशंसा कर रहा है. 


क्या है पूरा मामला
डीएसपी की ये हैवानी करतूत चार साल पुरानी है. मामला 2017 का है. तब कमलकांत प्रसाद गया का हेडक्वार्टर डीएसपी हुआ करता था. डीएसपी ने एक नाबालिग दलित लड़की को अपने घर पर घरेलू काम करने के लिए बुलाया था. दशहरा के दौरान डीएसपी ने अपने सरकारी आवास में दलित लड़की के साथ रेप किया. इसके बाद लज़की को धमकी दी गयी कि उसने अगर ये बात किसी को बतायी तो उसके पूरे परिवार को खत्म कर दिया जायेगा. डर से लड़की ने जुबान नहीं खोली.


पुलिस ने मामले को रफा दफा करने की पूरी कोशिश की
चार साल पहले हुए इस वाकये को गया पुलिस ने रफा दफा करने की पूरी कोशिश की. मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया गया. लड़की के परिजनों ने गया पुलिस के सामने गुहार लगायी लेकिन कमलकांत प्रसाद का रूतबा इतना बड़ा था कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई औऱ ना ही कोई एफआईआर हुई.


डीएसपी की पत्नी ने लड़ी इंसाफ की लड़ाई
इस मामले में इंसाफ की लडाई डीएसपी कमलकांत प्रसाद की पत्नी ने लड़ी. पत्नी ने डीएसपी के काले कारनामों को अपने मोबाइल में कैद कर लिया था. उन्होंने देखा कि गया पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है तो बिहार पुलिस के कमजोर वर्ग के आईजी को पूरे मामले की जानकारी दी. उन्होंने अपने पति के कुकृत्य का साक्ष्य कमजोर वर्ग के आईजी को सौंपा. बिहार पुलिस के कमजोर वर्ग शाखा के आईजी अनिल किशोर यादव ने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए गया के एसएसपी को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया. उसके बाद गया के महिला थाने में 27 मई को केस दर्ज किया गया.


केस दर्ज होन के बाद पीडिता को गया के पॉक्सो जज की अदालत में धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए ले जाया गया. कोर्ट में पीड़ित लडकी ने बताया कि कैसे डीएसपी ने उसके साथ हैवानियत की थी. प्राथमिकी के साथ साथ कोर्ट में पीडिता का बयान दर्ज होने के बावजूद कमलकांत प्रसाद की ना तो गिरफ्तारी हुई औऱ ना उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई.


तेजस्वी ने बोला था तीखा हमला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला था. उन्होंने सरकरा से सवाल पूछा था कि आखिरकार क्यों नीतीश कुपमार नाबालिग दलित लड़की के साथ रेप के आऱोपी डीएसपी को बचा रहे हैं. उसे क्यों बिहार के सिपाही चयन पर्षद में महत्वपूर्ण जगह दी गयी है. तेजस्वी यादव ने आऱोप लगाया था कि डीएसपी कमलकांत प्रसाद पर सिपाही बहाली में भी गड़बडी का आरोप है.


तेजस्वी यादव ने कहा था कि  DSP कमलकांत प्रसाद केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष का OSD रहा है. इस DSP और चयन परिषद के अध्यक्ष ने क्या क्या गुल खिलाये हैं ये पूरा प्रशासन और पुलिस महकमा जानता है. केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के विवादित अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का क्या, कैसा और कब से कौन सा संबंध है यह भी सब जानते हैं. नेता प्रतिपक्ष का आऱोप था कि मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा सौंपी गई सूचियों के आधार पर सिपाही भर्ती में अनियमित तरीके से अधिकांश नियुक्ति एक जिला और जात की होती है. उसके बाद बाकी बची नियुक्तियों में भारी रिश्वत और लेन-देन का खेल होता है जिसका हिस्सा ऊपर तक जाता है. इसके लिए ही एक विवादित पूर्व DGP को रिटायर होने के बाद भी नीतीश कुमार ने सिपाही चयन पर्षद का अध्यक्ष बनाये रखा है. तभी वो उनकी एक जिला-एक जात के एजेंडे को पूरा करने के साथ साथ भ्रष्टाचार की भूख को भी शांत कर रहे हैं.


तेजस्वी का आरोप था कि DSP ने एक दलित नाबालिग का बलात्कार किया औऱ भर्ती में धांधली की. डीएसपी की पत्नी सबूतों के साथ ये आऱोप लगा रही है. फिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी रही कि कुकर्मी डीएसपी की गिरफ्तारी तो दूर की बात जांच तक नहीं की गयी. FIR दर्ज करने में भी जान बूझकर देरी की गई.