DESK : एक तरफ जहां कोरोना संकट के कारण देश में जारी लॉकडाउन को लेकर काफी लोगों को जहां परेशानियां हो रही है तो वहीं कुछ लोगों के लिए लॉकडाउन खुशियां लेकर भी आ रहा है. कई ऐसे लोग इल लॉकडाउन में अपने घर लौट गए हैं जो वर्षों पहले अपने घर, परिवार को छोड़कर जा चुके थे. देश के कई कोनों से ऐसी खबरें सामने आ रही है. कई लोगों के परिजन तो उन्हें मरा मानकर अंतिम संस्कार भी कर चुके थे, लेकिन सालों बाद उन्हें जिंदा देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के तरकुलवा इलाके के कैथवलिया गांव से सामने आया है. जहां के रहने वाले महंगी प्रसाद 18 साल पहले अपनी पत्नी से नाराज होकर घर छोड़कर मुंबई चले गए थे. अल वक्त उनकी उम्र 40 साल की थी और उनका तीन बेटियां भी थी. घर पर मां, पत्नी और तीन छोटी बेटियों को छोड़कर वे मुंबई चले गए और उन्होंने परिवार से कोई कांटेक्ट नहीं किया.
इस दौरान वे मुंबई में छोटी मोटी काम करके अपना जीविका पालते रहे, लेकिन उन्होंने कभी अपने घर और गांव की तरफ मुड़कर भी नहीं देखा. घरवालों ने बहुत तलाश की लेकिन उनका कोई पता नहीं चला, जिसके बाद पत्नी और मां ने उन्हें मरा हुआ मानकर संतोष कर. लेकिन कोरोना के कारण जब देश में लॉकडाउन लगा तो सारा काम धंधा चौपट हो गया. कई दिनों तक भूखे रहने के बाद महंगी प्रसाद हो घर की याद आई. वहां से एक ट्क के सहारे वे गोरखपुर पहुंचे और फिर वहां से पैदल अपने घर पहुंचे. जब वह घर पहुंचे तो उनकी किस्मत में बस रोना ही बचा था. ना तो उन्हें मां मिली और ना ही पत्नी जिंदा रही. उनके पहुंचने के पहले ही वे दोनों दम तोड़ चुकी थी. घर पर रह रही उनकी बेटी ने जब अपने पिता को देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अब महंगी प्रसाद गांव में ही अपनी बेटियों के साथ बची हुई जिंदगी बिताएंगे.