12 साल बाद विधानसभा चुनाव से पहले बेटे के साथ कांग्रेस में शामिल हुए रामजतन सिन्हा, लालू यादव को हराकर बनाई थी अपनी अलग पहचान

12 साल बाद विधानसभा चुनाव से पहले बेटे के साथ कांग्रेस में शामिल हुए रामजतन सिन्हा, लालू यादव को हराकर बनाई थी अपनी अलग पहचान

PATNA : बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राम जतन सिन्हा बुधवार को राज्य पार्टी प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, वरिष्ठ पार्टी नेता और अन्य की उपस्थिति में राजधानी पटना के सदाकत आश्रम में विदिवत तरीके से कांग्रेस की सदस्ता ले ली। इस दौरान उनके साथ उनके बेटे अमित सिन्हा ने भी कांग्रेस ज्वाइन किया। राम जतन सिन्हा ने साल 2012 में खुद को कांग्रेस से अलग कर लिया और अब एक लंबे अंतराल के बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बेटे के साथ कांग्रेस में वापसी की है। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहा है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में रामजतन सिन्हा के बेटे को टिकट दे सकती है। 


बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बताया कि राम जतन सिन्हा का राजनीतिक जीवन छात्र आंदोलन से शुरू हुआ। उन्होंने छात्र संघ चुनाव में लालू प्रसाद यादव को पराजित कर अपनी पहचान बनाई। वे बिहार सरकार में मंत्री रहे और चार बार विधायक रहे। इसके अलावा वो बिहार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी संगठन को मजबूती मिली। ऐसे में इनके मार्गदर्शन में आने वाले विधानसभा चुनाव में संगठन को मजबूती मिलेगी।


वहीं वापस से कांग्रेस में शामिल होने को लेकर रामजतन सिन्हा ने कहा कि उनका पूरा प्रयास रहेगा कि वो सभी की भावनाओं के अनुरूप खुद को सही साबित कर सके। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस में जो उन्हें सम्मान मिला है, उससे वो अभिभूत हैं, पूरी ईमानदारी के साथ कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में अपना योगदान देंगे। रामजतन सिन्हा ने बताया कि करीब 12 वर्ष तक वो कांग्रेस में न रह कर भी पार्टी के साथ बने रहे।


मालूम हो कि, रामजतन सिन्हा जहानाबाद जिले के मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से एक बार विधायक भी रह चुके हैं। फिर वह 2005 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसी दौरान कांग्रेस ने 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद से गठबंधन किया था। रामजतन सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर जहानाबाद के मखदुमपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी सीट छोड़ने से इंकार कर दिया था। 


उसके बाद रामजतन सिन्हा ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था लेकिन हार गये। कांग्रेस छोड़ने के बाद रामजतन सिन्हा ने अपनी पार्टी बनायी लेकिन पार्टी नहीं चली, तब वह  जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गये। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में वह राष्ट्रीय जनता दल के संपर्क में रहे,  लेकिन मन अनुकूल बात कहीं नहीं बनी।  वह वापस अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में लौट आये।