BEGUSARAI: बेगूसराय के तत्कालीन एसपी, डीएसपी, एसडीओ समेत 5 को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया है। इन पर प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट करने और उन्हें जेल भेजने का आरोप है। बता दें कि बेगूसराय में लगातार हो रहे अपहरण और गिरती कानून व्यवस्था को लेकर विभिन्न संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने 2014 में बेगूसराय बंद का आह्वान किया था। इस दौरान जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया था। तत्कालीन एसपी हरप्रीत कौर समेत अन्य पुलिस पदाधिकारी ने प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट और गाली गलौज की गई थी। सभी प्रदर्शनकारियों को जेल भेज दिया था।
इसी घटना को लेकर नावकोठी थाना क्षेत्र के पहसारा निवासी परिवादी अभिनव कुमार अकेला ने सीजेएम न्यायालय में तत्कालीन एसपी हरप्रीत कौर, तत्कालीन डीएसपी राजकिशोर सिंह, तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी सत्यप्रकाश मिश्रा, तत्कालीन अंचलाधिकारी निरंजन कुमार, तत्कालीन नगर थाना मुंशी मेघनाथ सिंह के खिलाफ परिवाद पत्र दाखिल किया था। न्यायिक दंडाधिकारी मयंक कुमार पांडेय ने परिवादी अभिनव कुमार अकेला के परिवाद पत्र पर सुनवाई करते हुए सभी नामित आरोपित के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 166, 323, 504, 506,34 के तहत संज्ञान लिया और सभी को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया।
सभी आरोपित पर यह आरोप है कि बेगूसराय जिले में लगातार तीन बच्चों के अपहरण हुआ था। पीयूष की अपहरण के बाद नृशंस हत्या कर दी गयी थी। इसी घटना से आक्रोशित जिले के लोग अपराध विरोधी संघर्ष समिति के बैनर तले वकील एवं बुद्धिजीवी ,जनप्रतिनिधि,विभिन्न संगठनों, व्यवसायिक संगठन समेत आम जनता ने 29 मार्च 2014 को बंद का आह्वान किया था। उस दिन सभी लोग शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। आम जनमानस की आवाज को दबाने के उद्धेश्य से तत्कालीन एसपी हरप्रीत कौर के नेतृत्व में सभी आरोपितों ने प्रदर्शनकारियों को पकड़कर नगर थाना में बंद कर दिया गया। जहां प्रदर्शनकारियों के साथ गाली-गलौज और मारपीट की गयी। गिरफ्तार सभी प्रदर्शनकारी पर मुकदमा दर्ज करके जेल भेजा गया।
कोर्ट ले जाते समय धमकी दी गयी कि जज को मारपीट का जख्म दिखाया तो अंजाम बुरा होगा। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने जज को मारपीट के बारे में बताया और जख्म भी दिखाया। कोर्ट के आदेश के बाद प्रदर्शनकारियों का समुचित ईलाज जेल में करवाया गया। न्यायालय के आज के आदेश का स्वागत परिवादी के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार सहित जिले के विभिन्न संगठन, वकील ,जनप्रतिनिधियों ने किया है। बता दें कि जिले की गिरती कानून व्यवस्था को लेकर वकीलों ने खुद को न्यायिक कार्य से अलग रखा था और आम जनता के साथ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। आरोपितो के द्वारा वकीलों को भी गिरफ्तार किया गया था और उसके साथ भी बुरी तरह का मारपीट करके जेल भेजा गया था।